Tuesday 31 July 2012

पाप और उसका फल

विचार :-
पता नहीं कुछ लोग क्या क्या सोचते है की पाप के फल का जगह से कुछ लेना देना है !
मेरा मानना है की पाप चाहे तलघर में हो या मरघट में, प्रवचन हॉल में हो या सिनेमा हॉल में उसका फल उसी तरह मिलेगा जो उस पाप के लिए मिलना चाहिए इसका जगह से कोई मतलब नहीं है !
अरे ये सोचो ना भूमि चाहे जिस भी तरह की हो आप जिस भी फल का बीज बोवोगे उसी का फल मिलेगा अगर आपने बबूल का बीज बोया है तो आम कहा से मिलेगे एक ना एक दिन बबूल का फल जग जाहिर होके रहेगा !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 28 July 2012

सरकार की नियत

विचार :-
मैं अपने सरकार की नियत को लेकर संशय में पद जाता हू पता नहीं क्यों हमारी सरकार एक कत्लखाना खुलवाने में तो सक्षम है लेकिन वही सरकार एक गौशाला का निर्माण करवाने में असक्षम है क्यों आखिर ?
मुझे ऐसा लगता है की सरकार अगर एक कत्लखाना खुलवा रही है तो उसके पीछे उसका अपना ही स्वार्थ है क्युकी उससे उसे धन की आमदनी होती है और जहाँ तक प्रश्न आता है एक गौशाला का जिससे की पशु धन को बचाया जा सकता है उसके लिए उसके पास समय और पैसे दोनों की कमी है !
ऐसा लगता है की जैसे पशु धन की रक्षा के लिए जो धन लगेगा वो इनके पुरखो की कमाई है जो ये खर्च नहीं करना चाहते और कत्लखाना खुलवाने से पशु ही तो मरेगे लेकिन धन (टैक्स) तो आएगा ही और रिश्वत आएगी जिससे और कालाधन आएगा और पैसा जमा होगा , क्या इसी दिन के लिए हमने सरकार को चुना था !

तो लो हो गया उद्देश्य पूरा
चाहे सभ्यता का हो जाये चुरा 
हमें तो चाहिए सिर्फ पैसा
ऐसा हो वैसा हो चाहे जैसा तैसा


श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Thursday 26 July 2012

जीवंत जीवन के राज़

विचार :-
सम्यक श्रधा के बिना जीवन मुर्दा के समान है, आस्था के बिना यह नर भव अर्थहीन है, जिस प्रकार बिजली के बिना बिजली से चलने वाले पंखा, फ्रिज आदि उपकरण निरर्थक है उसी प्रकार सम्यक्त्व के बिना सम्यक क्रिया, चर्या, आचरण आदि व्यर्थ सा ही प्रतीत होगा !
इतना ही नहीं श्रेणिक जैन का तो यहाँ तक मानना है की जैन संस्कृति का मूल ही सम्यक्त्व है, भारतीय संस्कृति में भी सदाचार के कारण चरणों की पूजा की जाती है, यह सदाचार व सदाचार की पूजा ही पूजक को पूज्य के पथ पर आगे ले जा सकती है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Monday 23 July 2012

चमड़ा और हमारी जानवरी परवर्ती

विचार :-मेरे एक दोस्त  निपुण जैन की कलम का

कहते है हम लोग इंसान है क्योकि हम लोगो में बुद्धि है नहीं तो पशु/जानवर और हममे क्या ख़ास फर्क नहीं, इसलिए हमें पशु जैसा जीवन नही जीना चाहिए | लेकिन मानवता की धज्जिया उड़ाने वाले द्रश्य जब देखने में आते है तो अपने को इंसान कहते हुए शर्म आने लगती है, कत्लखानो में कैसे हम इंसान लोग क्रूरता की पराकाशता करते हुए जीभ की taste के लिए मार डालते है, आत्मा कांप जाती है देखकर की कैसे जीवित मछली की स्किन को निकाल लिया जाता है, कैसे गाय को एक पैर पर जिन्दा लटका कर उसके गले में चाक़ू से छोटा सा छेद कर दिया जाता है जिससे वो असहनीय दर्द को सहन करती हुई 2 से 3 धंटे में मरती है, उसकी जीभ बाहर आजाती है और आंखे फट जाती है दर्द के कारन और सारा वजन एक पैर पर होने से उसकी हड्डी भी टूट जाती है, कैसे एक छोटे गाय के बछड़े के उपर उबलता हुआ पानी डाल दिया जाता है उसकी खाल निकालने के लिए क्योकि उससे चमड़ा बनाना है जो हममे से कुछ लोग पहनते है | और कितना और क्या कहा जाए शायद हम लोगो को पता भी नहीं जितना कत्लखानो की क्रूरता के बारे में कहा और सुना जाता है वास्ताव में वो क्रूरता उससे कही ज्यादा भयानक है....

अभी एक survey किया गया जिसमे उन व्यक्तियों को शामिल किया गया जो मांस खाते थे, या जिनको अच्छा लगता था, और उनको मांस खिलाने से पहले वही कत्लखाने में लेजाया गया जिसको गाय का मांस अच्छा लगता था उसको कटती हुई गाय के सामने ले जाया गया उसको वो द्रश्य दिखाया गया फिर उसको मांस खाने के लिए दिया गया तो वो उसको नहीं खा सकता उस क्रूरता के द्रश्य उसके सामने आते रहे और कुछ तो उन द्रशो को ही नहीं देख पाए जबकि वे मांसाहारी थे, मतलब ये हुआ की जो लोग मांसाहार पसंद करते है वे उसको खा तो सकते है लेकिन अधिकतर लोग उन पशुओ को कटते हुए देख भी नहीं सकते, एक जैन संत क्षुल्लक ध्यानसागर जी कहते है की जो लोग मांस खाना पसंद करते है वे लोग पूरी तरह से सिर्फ मांस खाकर जिन्दा नहीं रह सकते है जबकि आप शाकाहार पर पूर्णतया जीवित रह सकते है और अपनी लाइफ के अच्छे से बिता सकते है, क्योकि देखो जरा मांस को स्वादिष्ट बनाने के लिए क्या प्रयोग हो होता है ? मसाले, नमक, मिर्च, लॉन्ग, गर्म मसाला, धनिया आदि जो की शाकाहारी वनस्पतिया ही तो है मतलब मांसाहार को tasty बनाने के लिए ये मसाले प्रयोग करते है, क्या मांसाहारी कच्चा मांस खा सकते है ? नहीं खा सकते...वो कितना घिनोना होता है हम सब जानते है |

यहाँ तक की एक बहुत famous मांसाहार फ़ूड बेचने वाली कंपनी का स्ट्रिंग ऑपरेशन द्वारा survey किया गया तो द्रश्य और भी ज्यादा भयानक थे, कैसे वो लोग जानवरों के साथ व्यवहार करते है और क्या क्या करते है जिनको शब्दों में नही लिखा जा सकता, और अब उनके factories आदि में जाना भी allow नहीं है ना ही आप कैमरा आदि ले जा सकते है की कितना क्रूरता पूर्वक वहा पर जानवरों के साथ बर्ताव किया जाता है, हममे से कुछ लोग बोलते है leather की items ज्यादा चलती है लेकिन ये कोई बात नहीं हुई आप बिना leather की वस्तु प्रयोग करो, अपने थोड़े से comfort के लिए आप लाखो जानवरों को अपने कारन से मरने नहीं दे सकते, वो सिर्फ आपके कारन से ही करते है, अगर आप सोचते है की मेरे एक चमड़ा ना प्रयोग करने से क्या होगा तो आप गलत है क्योकि एक एक व्यक्ति अगर चमड़ा का प्रयोग करना छोड़ दे तो सोचो कितना consumption leather के मार्केट में कम होगा और अगर मार्केट में demand कम होगी तो production कम होगा और अगर डिमांड नहीं तो production नहीं और जानवारो की हत्या नहीं... | लेकिन हम इन बातो को या तो समझते नहीं या समझना नहीं चाहते, बस वही बात है 'सोने का वर्क चढ़ा है, गोबर की मिठाई पर' इससे ज्यादा क्या कहा जाए |

अरे ओह मांस के खाने वालो क्या तुमको ये भी भान नहीं ? मुर्दे कहा दफ़न होते है, पेट कोई कब्रिस्तान नहीं...

कुछ ऐसी वस्तुए है जिनके प्रयोग किये बिना भी हमारा जीवन चल सकता है या कहे की उनकी substitute items हम मार्केट से purchase कर सकते है...आओ जाने |

1 >> Men/women wallet जब भी ख़रीदे तो leather का ना ख़रीदे, मैं खुद बिना leather का wallet रखता हूँ और वो भी बहुत stylish और trendy लगता है...

2 >> Laptop/Notebook/Mobile etc को carry करने वाला backpack जब भी ख़रीदे तो वो भी बिना leather का ख़रीदे, मार्केट में available है |

3 >> Shoes और बेल्ट जब भी purchase करे तो देख कर ही ख़रीदे, specially costly shoes और बेल्ट तो आपको leather वाले ही मिलेंगे, तो अगर आप बिना leather की डिमांड करेंगे तो आपको मिल जाएगी, आज कल हर स्टाइल के शोएस और बेल्ट without leather के भी मार्केट में available है, बस आपके अन्दर determination होना चाहिए मतलब संकल्प की चमड़ा use नहीं करना है कुछ भी हो जाए, और फिर भी अगर चमड़ा खरीदो तो एक बार उन जानवरों गाय, सूअर, मुर्गी, आदि जानवरों के तड़पते हुई चित्र को सामने ले आना फिर भी अगर खरीदना हो तो फिर क्या कहे, हर व्यक्ति स्वतंत्र है लेकिन जब हमको लाइफ में प्रॉब्लम आती है और दुःख मिलते है फिर हम रोते रोते फिरते है और कोई मदद नहीं करता करे कहा से भैया...जब कर्म ऐसे करोगे तो कोई कहा से मसीहा आपके जीवन में आये ? विश्व का कोई भी धर्मं हो अधिकतर धर्मं और यहाँ तक की किसी भी धर्मं को ना मनाने वाले भी ये तो accept करते है की हमें अच्छे कर्म ही करने चाहिए, और सब धर्मं में कहा गया है की कर्मो का फल सबको मिलता है, भगवान् भी क्या करे जब आपने कर्म ही ऐसे किये ??

ऐसे छोटी छोटी बहुत सारी item होती है जिनमे आप देख कर अगर ख़रीदे में फालतू की हिंसा से बच सकते है, winter session में कोई जरुरी नहीं की leather की jacket ही पहने, जो leather use नहीं करते क्या वे मर जाते है ठण्ड के कारन ? या उनको सोसाइटी से बाहर निकाल दिया जाता है ? या उनको मार दिया जाता है ? या उसपर पनाल्टी लग जाती है ? कुछ नहीं होता बस हम अपने अपने के लिए अच्छा सोचने के चक्कर में स्वार्थी हो गए है, बिना leather की जक्केट, पर्स, जुटे, बेल्ट, बेग आदि के भी काम चल सकता है...अगर आप चाहे तो |

सबसे ज्यादा दुःख की बात है हम लोग धर्मं के नाम पर लड़ जाते है चाहे हिन्दू हो मुस्लिम हो सिख हो इसाई हो, बुद्ध हो या जैन हो लेकिन उस धर्म के नेता का क्या सन्देश और उपदेश था ये भूल जाते है | --- अहिंसा परमो धर्म:

Sunday 22 July 2012

सुविधाए और हमारी आदत

विचार :-
आज जितना सुविधाए हो गयी है उतने ही लोग उसके आदि होते जा रहे है पता नहीं कब कैसी सुविधा निकल जाए लेकिन दुःख तो इस बात का है की लोग धर्म के कार्य में भी हर तरह की सुविधा लेने की कोशिश करने लगे है !
क्या आपको लगता है की इन सब से हमे पुन्य मिलेगा ............???????
नहीं............
श्रेणिक जैन का कहना है की सुविधाओ का एक हद्द तक इस्तेमाल अच्छा है क्या कभी ऐसा वक्त भी आ जायेगा की हम घर बैठे कहे भगवान का अभिषेक करना है और हम घर बैठे मोबाइल पर बोलेगे स्वाह
और मंदिर जी में पुजारी भगवन पर जल से अभिषेक कर देगा आप खुद ही सोचे की आज का समय देख के ये कितनी दूर है !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Thursday 19 July 2012

स्वर्ग और स्वर्गीय का अंतर

विचार :-
मुझसे एक प्रश्न पूछा गया जिसका मैं जवाब उसी वक्त ना दे सका बाद में दिया आप भी देखे की क्या मेरा जवाब सही है !
प्रश्न :- मैं स्वर्ग अपनी मुठी में बंद कर लू इसके लिए क्या करू ?
मेरा जवाब था :- स्वर्ग को मुट्ठी में करने का मार्ग तो मुझे नहीं पता पर अपनी जीवन को स्वर्ग बनाने का मार्ग में अवश्य बता सकता हू ! इसके लिए सिर्फ पांच बातें याद रखे !
१.दिमाग को "ठंडा" रखो !
२.जेब को "गर्म" रखो !
३.आखों में "शर्म" रखो !
४.जुबान को "नर्म" रखो !
५.दिल में "रहम" रखो !
अगर ये पांच काम आप कर लो तो आपको फिर कही स्वर्ग ढूढ़ने जाने की जरुरत नहीं आपको स्वर्ग खुद ढूढता हुवा चला आएगा ! लेकिन दोस्तों कितनी विडम्बना है ना की हम स्वर्ग तो चाहते है मगर "स्वर्गीय" होना नहीं चाहते !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Monday 16 July 2012

सोने और मरने से क्षमा की महत्ता


विचार :-
जितना फर्क जागने और सोने में होता है उतना ही फर्क किसी से गुस्सा होने और उसे माफ करने में होता है जिस प्रकार सोने के बाद इंसान को कुछ पता नहीं होता उसी प्रकार गुस्से में इंसान क्या कर जाता है उसे खुद को भी पता नहीं होता वो नशे जैसे हालत में चला जाता है
ठीक उसी प्रकार माफ करने का अर्थ गुस्से रूपी नींद से जागने के सामान होता है जिस प्रकार नींद से जागने के बाद इंसान एक नयी सुबह को महसूस करता है ठीक उसी प्रकार माफ करने के बाद भी इंसान एक नयी सुरुवात की तरफ कदम बढाता है !
तो क्यों ना आज उन सबको माफ किया जाए जिनसे हम गुस्सा है आप खुद भी सोचिये ना की ये दुश्मनी तभी तक है जब तक आप इस संसार में है मरने के बाद कैसी दुश्मनी और कैसा प्यार तो क्यों किसी से इतना बैर भाव रखना !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Thursday 12 July 2012

गुस्सा एक दुश्मन


विचार :-
कुछ लोग कहते है की कभी गुस्सा भी सही है...........लेकिन क्यों उनकी ये मनोदशा हो गयी है ? क्युकी या तो उन्हें गुस्से की आदत हो गयी है या फिर उन्हें गुस्सा को सहना आ गया है !
लेकिन मेरे विचार से कभी भी गुस्से का परिणाम सही नहीं हो सकता है हो सकता है कुछ अवधि के लिए गुस्से का परिणाम अच्छा लगे लेकिन ये लम्बे समय में हमेसा घातक ही परिणाम देगा ! मेरा कहना तो हमेसा यहाँ तक होता है की अगर एक इंसान में गुस्सा है तो उसे फिर किसी भी दुश्मन की क्या आवश्यकता रह जायेगी !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Sunday 8 July 2012

क्या है और क्या नहीं

विचार :-
बहुत से लोगो की ये आदत होती की वो हर समय किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहते है और पता नहीं कैसे उन्हें परेशान रहने का बहाना भी मिल जाता है जैसे वो बहाना ढूढ़ ही रहे हो !
श्रेणिक जैन के अनुसार तो हमें हमारे पास जो नहीं है उसके लिए परेशान होना छोड कर बल्कि जो हमारे पास है उसको लेकर खुश रहना चाहिए क्योकि संतोष में जो आनदं होता है वो निरंतर परेशान रहने में नहीं मिल सकता है ! तो चलो क्यों ना आज ही ये प्रण करे की हमारे पास जो भी है हम उसी को अपने कर्मो का फल समझ कर स्वीकार करेगे और खुश रहेगे !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 7 July 2012

सामूहिक भजन और भोजन

विचार :-
आज कल बहुत से लोगो का कितनी भी कहते देखा है की समय नहीं है एवं  घर परिवार और समाज में शांति नहीं है जहा देखो कलह ही कलह है पर मुझे ऐसा लगता है शायद हमारे समय की कमी का ये बहाना ही घर परिवार की शान्ति का दुश्मन बन रहा है !
जहाँ तक मेरा विचार है समाज में अगर हम शान्ति चाहते है जो हम मिल जुल कर और संगठित होकर एक साथ सामूहिक भजन करने चाहिए और घर में प्रेम रखना हो तो हमे परिवार के साथ भी मिल जुल कर सामूहिक भोजन करना चाहिए ! ऐसा नहीं की इससे पूरी तरह कलह को मिटाया जा सकता है परन्तु क्या हम एक छोटी से पहल भी नहीं कर सकते !

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 4 July 2012

लक्ष्मी और पुण्य


विचार :-
सबसे पहले तो मैं आप सब से माफ़ी मागना चाहता हु की मैं इतने दिन नहीं लिख पाया और जिन जिन लोगो ने इसकी शिकायत की उनसे भी दिल से माफ़ी मागना चाहता हु !
अब आज का विचार :-
सब लोगो के लक्ष्मी रूपी माया या यु कहे धन के बारे में अलग अलग विचार होते है कुछ लोग कहते है मेहनत से मिलती है कुछ कहते है बुद्धि या शाश्त्र ज्ञान  से मिलती है लेकिन मेरा कहना इन सब से अलग है मेरा मानना है की यदि धन मेहनत से मिलता तो मजदूर या रिक्शे वाला सबसे अमीर होता और अगर बुद्धि या शाश्त्र ज्ञान से मिलता तो पंडित सबसे अमीर होता लेकिन ऐसा नहीं है !
श्रेणिक जैन का तो बस इतना ही कहना है की जिन्दगी की कुछ महत्वपूर्ण चीज़े जैसे संतान, सम्पति या सफलता आदि सब सिर्फ पुण्य से ही प्राप्त हो सकते है ! इसीलिए आप दिन में ज्यादा ना सही तो कम से कम 2 पुण्य के कार्य तो अवश्य करे क्योकि ना होने से कुछ कुछ शुरुवात होना आवश्यक है जिससे हमारा इहलोक और परलोक दोनों सुधर सके !
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा