Saturday 31 March 2012

दीया और आत्मा

विचार :-
मुझे तो एक बात कभी भी समझ नहीं आती की बहुत से लोग जानते है की आत्मा और शरीर अलग अलग है लेकिन फिर भी वो शरीर को ही सजाने और सवारने में लगे है ऐसा क्यों ???
मेरा तो सिर्फ इतना सा मत है की जब तक आप आत्मा और शरीर के सच्चे स्वरुप को नहीं जान लोगे तब तक आप मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकते है मतलब आत्मा को सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती....
जिस प्रकार यदि हमें प्रकाश को अनुभव करना है तो हमें दिये की लों का अनुभव करना जरुरी है ना की दिये का क्योकि दीया तो जड़ होता है और सच्ची रोशनी केवल वो लों ही उत्पन कर सकती है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

मंगलाचरण

विचार :-
आज हम एक मंगला चरण करेगे क्योकि कल से देश का हिंदी के अनुसार नए साल शुरू होने वाला है
मंगलं भगवान वीरों, मंगलं गौतमो गणी !
मंगलं कुन्द्कुंदागहो, जैन धर्मौस्तु मंगलं !!
सदाचरण के आगमन से ही जीवन का मंगलाचरण हो जाता है ! मंगलाचरण हमारे जीवन को मंगल आचरण प्रदान करता है , पाप को गलाता है, पुण्य को लाता है, नास्तिकता को हटाता है ! पूज्य पुरुषों के प्रति बहुमान व्यक्त करने की प्रेरणा देता है, अहंकार को समाप्त करता है !
नमस्कार करने की इच्छा रखने वाला ही किसी का नमस्कार पा सकता है और वही नर से एक दिन नारायण बन सकता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Friday 30 March 2012

खुशखबरी

खुशखबरी                                                        खुशखबरी                                                      खुशखबरी
आप सभी के लिए खुशखबरी :-
                    की अब आप मेरे जो चाहे पोस्ट कोपी कर पायेगे मैंने अपने ब्लॉग का लोक खोल दिया है अब आप जो चाहे वो पोस्ट कोपी करे लेकिन आपसे एक आग्रह है की मेरे सद् -विचारों का गलत इस्तेमाल ना करे...............

स्वाभाव परिवर्तन ना करे...

विचार :-
मेरे विचार से इंसान का अपना अच्छा आचरण और अपने अच्छे काम जो उसे अच्छे लक्ष्य की तरफ बढ़ाते है उन्हें किसी के भी कहने से अपने उस स्वाभाव को नहीं छोडना चाहिए, हो सकता है इस कार्य में लोगो की गलत धारणा बन जाये लेकिन फिर भी आपको अपना सद्-विचार कभी भी नहीं त्यागना चाहिए !
जैसे एक हाथी के प्रति कुत्तों की गलत धारणा बन जाती है तो हाथी कभी भी कुत्तों को डराता- धमकाता नहीं बल्कि कुत्ते ही भौंक भौक कर उसे डराने का प्रयास करते है
ठीक उसी प्रकार उल्लू चाहे कितनी ही निंदा सूर्य की करे लेकिन कभी भी सूर्य उगना नहीं छोड़ता और जग को प्रकाश देना नहीं भूलता !
उसी प्रकार हे भव्य जीव आप भी अपना कभी अच्छा स्वाभाव मत बदलना !
श्रेणिक जैन.........
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Thursday 29 March 2012

तीर्थराज सम्मेद शिखर जी


कृपा करके इसे शेयर जरुर करे हमने अपनी कॉलोनी में ये मुहीम चलायी थी क्या आप अपने जैन धर्म या मेरे लिए इसे जन जन तक पहुचाने में मेरी मदद करेगे !!!!!!!!!
कृपा करके शेयर करे और जन जन तक पहुचाये.............!!!!!!!!

Tuesday 27 March 2012

कम नहीं होती..............

विचार :-( ये कविता मेरी कलम की नहीं है पर बहुत सुन्दर है )


मुसीबत में शरीफ़ों की शराफ़त कम नहीं होती,
करो सोने के सौ टुकडे तो क़ीमत कम नहीं होती.
मुझे बचपन में ये सीख दी है मेरी मम्मी ने,
बुज़ुर्गों की दुआ लेने से इज्ज़त कभी कम नहीं होती.
जरूरतमंद को कभी देहलीज से ख़ाली ना लौटाओ,
भगवन के नाम पर देने से दौलत कम नहीं होती.
पकाई जाती है रोटी जो मेहनत के कमाई से,
हो जाए गर बासी तो भी लज्ज़त कम नहीं होती
याद करते है अपनी हर मुसीबत में जिन्हें हम
गुरु और प्रभु के सामने झुकने से गरदन नीचे नहीं होती

Sunday 25 March 2012

दिगम्बर संत श्री शांति सागर मुक्तक (11)

दिगम्बर संत श्री शांति सागर ( मुक्तक )

हर  कांटे  वाला  वृक्ष  गुलाब  नहीं  होता,
हर  हरे  रंग  का  पक्षी  तोता  नहीं  होता
हे   श्रावक  जरा  ध्यान   से  सुनना  बात
हर दिगम्बर संत शांति सागर नहीं होता !
श्रेणिक जैन..........

आस्था बनाये रखना .....मुक्तक (10)

परमात्मा के चरणों में आस्था ( मुक्तक )
श्रद्धा    के    फूल    हदय    में    किलाये    रखना ,
ज्ञान   के   दीप   हमेशा  मन   में   जलाये   रखना !
मुक्ति   अवश्य  ही  प्राप्त  हो   जायेगी   रे  बंधुओ,
परमात्मा के चरणों में अपनी आस्था बनाये रखना !! 

प्रेम, अनुराग एवं श्रद्धा

विचार :-
कितने विचित्र शब्द है ना ये तीनो ही क्योकि लगते तो तीनो एक से ही है लेकिन इन तीनो में बहुत ज्यादा फर्क है !
प्रेम :- प्रेम हमेसा बराबर वालो में होता है
अनुराग :- अनुराग हमेसा अपने से छोटे के साथ होता है इसमें एक सद्भावना भी होती है !
श्रद्धा :- श्रद्धा हमेसा अपने से बड़े या फिर अपने आराध्य से अर्थात तीर्थंकर प्रभु से होती है लेकिन इसका स्वरुप कलम से लिख पाना ऐसे ही कठिन है जैसे हाथो से धुप को पकड़ना इसलिए मेरा विश्वास है जो सच्चे मन से श्रद्धा रखता है अपने आराध्य पर और उनके बताये मार्ग पर चलते है वही मोक्ष को प्राप्त होते है !
श्रेणिक जैन......
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा  

परमार्थ और व्यवहार

विचार :-
जिस प्रकार किसी अनाड़ी पुरुष को उसकी भाषा में बोले बिना नहीं समझाया जा सकता या फिर कोई भी हो जब तक हम उस इंसान या जानवर को उसी की भाषा में बोल कर नहीं समझायेगे तब तक वह नहीं समझ सकता.,
ठीक उसी प्रकार परमार्थ को समझाने के लिए व्यवहार का अवलम्बन लिया जाता है एक बात हमेसा ध्यान रखे की जब तक व्यवहार शुद्ध नहीं होगा तब तक कार्य की शुद्धता नहीं परदर्शित की जा सकती !
श्रेणिक जैन......

Saturday 24 March 2012

अन्याय का पैसा कैसा ?

विचार ( मेरी एक दोस्त और मेरे एक दोस्त का लिखा हुआ ):-

पाप और अन्यायपूर्ण तरीके से की गयी कमाई जितनी जल्दी घर में आती भी नहीं है उससे पहले चली भी जाती है लेकिन उसमे महत्वपूर्ण बात होती है वो ये की वो जाते जाते सारे पुण्य तो धो ही देती है और एक कलंक भी लगा देती है !

इसे एक उदाहरण से समझाता हू की अन्याय का पैसा आखिर कहा जाता है:-
एक बच्चा जन्म से ही बीमार था
कॉफी इलाज कराया, कुछ सुधार नहीं
३ वर्ष बाद एक दिन बच्चा हंसा |
पिता बहुत खुश !
क्यों न हो,
जब किसीका बच्चा पहली बार हँसता है,
उसके माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता |
बच्चे ने पिता की तरफ देखा और कहा - मैं जान-बुझ कर हंस रहा हूं,
क्योंकि मैं अब अनंत की यात्रा पर जा रहा हूं |
पिता - मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा |
बच्चा - पिछले जन्म में आपने मेरे 50,000 रूपये दबा लिए थे |
वही वसूलने मैंने आपके यहाँ जन्म लिया |
मेरी चिकित्सा में आपने 50,000 रूपये लगा दिए |
हिसाब बराबर !
अब मैं जा रहा हूं |
यह कह कर बच्चे ने आँखें मूँद ली |
श्रेणिक जैन

Friday 23 March 2012

वीतरागी भगवान क्या देते है ?

विचार :-
भगवान अरहंत देव वीतरागी है और स्वयं वीतराग के स्वरुप है, अठराह दोषो से रहित है और सर्वज्ञ है, इसलिये केवल वे ही नमस्कार करने योग्य और पुजा करने के योग्य है, लेकिन भगवान पुजा व नमस्कार करने से कुछ देते नही है क्योकि वे तो वीतरागी है और उनकी आत्मा समस्त दोषो से रहित होने के कारण अत्यंत शुध्द और निर्मल हो चुकी है, इसलिये उनको भक्ति करने से तथा पुजा एवं नमस्कार करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है तथा उस विशेष पुण्य से इच्छित पदार्थो की प्राप्ति अपने आप होती है ना की उनके देने से |
शुद्ध निर्मल आत्मा की भक्ति पुजा करने से अपने आत्मा को शुध्द और निर्मल बनाने की भावना भी उत्पन्न होती है और उस भावना के अनुसार वह जीव अपनी आत्मा को वैसा ही बनाने का प्रयत्न करता है और अगर चाहे तो वह जीव इस प्रकार अपने आत्मा का कल्याण करता हुआ स्वयं भी अरिहंत अवस्था को प्राप्त कर सकता है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Thursday 22 March 2012

गुरु देव का साथ मुक्तक (9)

मुक्तक (9)
स्वर्ग नहीं मुझे नरक का संसार दे दो ,
ज्वाला मुखी सा दुखो का अंगार दे दो !
शिकायत  नहीं  करुगा जीवन में कभी ,
मात्र  गुरु  देव  का  मुझे  साथ  दे  दो !!
श्रेणिक जैन 

क्रोधी का मन

विचार :-
मेरे विचार से क्रोधी व्यक्ति कभी भी शांत नहीं रह पता क्योकि वह हमेसा अपने आप से उसी प्रकार क्रोधित रहता है जितना और लोगो के व्यवहार से या आचरण से !
इसी प्रकार अगर क्रोधी अपने आप से भी हमेसा क्रोध करता रहेगा तो वह कभी भी शांत नहीं हो सकता अर्थात उसका मन कभी शांत नहीं रह पाता !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

प्रभु से एक प्रार्थना

विचार:-
आप भी मेरे साथ प्रभु से एक प्रार्थना करे :-

ऐसे हो हमारे लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ हो,
ऐसे हो हमारी मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
ऐसे हो हमारा दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग में रमे,
ऐसे हो हमारे जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे,
ऐसे हो हमारा एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो
ऐसी हो हमारी बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ
ऐसी हो हमारी आँखे जिनमे कितने ही खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ
ऐसे हो हमारे आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ और उसका गम मिटाने के लिए कुछ भी करे,
ऐसे हो हमारे हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए,
ऐसे हो हमारे कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ और कभी न भटके,
ऐसी हो हमारी सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल हो,

प्रभु ऐसा तो वरदान की खुद भी पार उतर जाये और दूसरों को भी मार्ग दिखा जाये !

Wednesday 21 March 2012

देखने का नजरिया


विचार :-
आपने देखी होगी इस पुरे संसार में 2 तरह की लालिमा होती है सुबह की लालिमा और सांझ की लालिमा, देखिये न कितना अजीब है की दोनों ही लालिमा है परन्तु दोनों मे जमीन आसमान का अंतर है !
एक तरफ जहाँ सांझ की लालिमा मनो इस बात की ओर इशारा करती हुई प्रतीत होती है कि अन्धकार की ओर चलो और भोगों मे मग्न हो जाओ, अत: सांझ की लालिमा अन्धकार और भोग का प्रतीक है, वही दूसरी और इसके विपरीत सुबह की लालिमा प्रकाश की ओर ले जाती है, इस बात की ओर इशारा करती है कि समस्त भोगों को लात मार कर प्रकाश की ओर आ जाओ !
बस ये हमारा देखने का नजरिया है की हम किसी से प्रेरणा ले या उसे गाली ही दे......

Why We Dont Have Time ???

A complete English Thought For Our Life But I have A Request For You That Please Feel What I Want To Say............( Please Forgive For My English As I Am Not Good In English )


A must read. Awareness For You People


A man sat at a metro station in Washington DC and started to play the violin; it was a cold January morning. He played six Bach pieces for about 45 minutes. During that time, since it was rush hour, it was calculated that 1,100 people went through the station, most of them on their way to work.

Three minutes went by, and a middle aged man noticed there was musician playing. He slowed his pace, and stopped for a few seconds, and then hurried up to meet his schedule.

A minute later, the violinist received his first dollar tip: a woman threw the money in the till and without stopping, and continued to walk.

A few minutes later, someone leaned against the wall to listen to him, but the man looked at his watch and started to walk again. Clearly he was late for work.

The one who paid the most attention was a 3 year old boy. His mother tagged him along, hurried, but the kid stopped to look at the violinist. Finally, the mother pushed hard, and the child continued to walk, turning his head all the time. This action was repeated by several other children. All the parents, without exception, forced them to move on.

In the 45 minutes the musician played, only 6 people stopped and stayed for a while. About 20 gave him money, but continued to walk their normal pace. He collected $32. When he finished playing and silence took over, no one noticed it. No one applauded, nor was there any recognition.

No one knew this, but the violinist was Joshua Bell, one of the most talented musicians in the world. He had just played one of the most intricate pieces ever written, on a violin worth $3.5 million dollars.

Two days before his playing in the subway, Joshua Bell sold out at a theater in Boston where the seats averaged $100.

This is a real story. Joshua Bell playing incognito in the metro station was organized by the Washington Post as part of a social experiment about perception, taste, and priorities of people. The outlines were: in a commonplace environment at an inappropriate hour: Do we perceive beauty? Do we stop to appreciate it? Do we recognize the talent in an unexpected context?

One of the possible conclusions from this experience could be:

If we do not have a moment to stop and listen to one of the best musicians in the world playing the best music ever written, how many other things are we missing?

Tuesday 20 March 2012

समानता का व्यवहार

विचार :-
मेरे विचार से हमे हर समय एक जैसा ही रहना चाहिए मतलब हम जिस भी परिस्थिति में हो हम चाहे उन परिस्थितियों के अनुसार अपना रहन सहन बदल ले लेकिन कभी भी हमें अपनी वाणी की मर्दुलता अर्थात मिठास नहीं खोनी चाहिए !
जिस प्रकार एक दीपक का स्वाभाव हमेसा सबको रोशनी देना होता है चाहे वो राजा के ताजमहल में रहे या गरीब की कुटिया में लेकिन वो हमेसा रोशनी ही देगा और अन्धकार को खत्म ही करेगा !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा !

क्षमा कितनी महान

विचार :-
जहाँ तक मेरा मानना है तो मुझे ऐसा लगता है जिस प्रकार गंध बिना पुष्प, घृत बिना दूध, ज्योति बिना दीपक, मिठास के बिना शर्करा व्यर्थ है, उसी प्रकार मेरे विचार से उत्तम क्षमा बिना सकल संयम साधना व्यर्थ है !
इसका मतलब की अगर आपको संयम धारण करना है तो आपको पहले क्षमा को अपनाना होगा अन्यथा संयम धरने का अर्थ ना के बराबर रह जायेगा !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

आस्था और भावना

विचार :-
मेरे विचार से भारत का इतना नुक्सान शायद मुगलों और अंग्रेजो ने नहीं किया जितना अंग्रेजो और बाकि के देशो की दी गयी सौगात ये पाश्चात्य संस्कृति हमारी आस्थाओ और भावनाओ से खिलवाड़ कर रही है , क्योकि मुग़ल यदि एक मंदिर तोड़ते थे तो हमारी आस्था सौ नए मंदिर बना लेती थी लेकिन जब ये सभ्यता हमारी आस्था, भावना और विश्वास ही तोड़ देगी तो हमारे बने हुए मंदिर भी टूट जायेगे तो हमे कोई फर्क नहीं पड़ेगा !
एक बात हमेसा ध्यान रखना की आस्था और भावना की जो शक्ति हमारे पास है वो अन्यत्र किसी भी देश के पास नहीं है क्योकि यदि एक मंदिर टूटेगा तो यही आस्था सौ नए मंदिर बना देगी वर्ना तो बने हुवे मंदिर भी टूटने में वक्त नहीं लगेगा !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Monday 19 March 2012

जिंदगी की कीमत (Value of Life)

विचार :-
कृपा कर आपसे अनुरोध है की इसे पढ़े और देखो कितनी क्रूरता है इस दुनिया में की अपना हक मागने के लिए भी कभी कभी जान तक देनी पड़ती है !
नीचे दिख रही पिक्चर में ये औरत मर गयी है और आप जानते है कैसे ?
ये औरत अपना हक यानि अपनी pension ( मासिक भत्ता ) मागने के लिए सरकारी दफ्तर गयी थी लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने मना कर दिया !
जब इस औरत ने भीख मागी और रोई तो उन सरकारी कर्मचारियों ने इसे धक्का मार कर बाहर निकाल दिया और ये सीधा एक पत्थर से टकरा कर मौत के मुह में चली गयी !
पता है इस औरत की pension ( मासिक भत्ता ) केवल Rs.200 है लेकिन आज यही Rs.200 उसकी जिंदगी से बड़े हो गए ! खुद सोचिये....................!!!!!!!!


In the above image..., a women went to collect pension money..,
but the govenment ignored to give pension to her..,
she begged and cryied out.., but they thrown her out side on the road.., she directly falls on big stone and died...,

but the two childrens they dont know that, her mother died..,
they crying for her mother...,

but you know that.., her pension is 200 rs per month....,
her life cost is 200 rs..., so is the life is cheaper than money...


Sunday 18 March 2012

इंसान जीता जागता उदाहरण

विचार :-
आज मै आपको ऐसे ही एक और आदर्श किसान के बारे में बता रहा हू ! झारखंड के किसान श्यामल चैधरी की है, जिन्होंने अकेले ही अपने अथक प्रयास से तालाब का निर्माण कर डाला और गांव के खेतों के लिए सिंचाई का पानी उपलब्ध करा दिया। दुमका जिला स्थित जरमुंडी ब्लाक के विशुनपुर-कुरूआ गांव के श्यामल चैधरी आज क्षेत्र के किसानों के लिए आदर्श बन चुके हैं। सौ गुणा सौ की लंबाई तथा 22 फीट गहरे इस तालाब को खोदने का काम उन्होंने 14 वर्ष में पूरा कर डाला।
65 वर्षीय इस जुझारू किसान को यह विचार उस समय आया, जब उन्होंने अधिकारियों से अपनी जमीन पर पटवन के लिए एक तालाब की मांग की थी, जो उन्हें नहीं मिला। फिर क्या था, प्रतिदिन दो चैका मिट्टी काटकर अकेले ही तालाब का निर्माण कर दिया। यह काम उन्होंने वर्ष 1997 में शुरू किया था और 2011 में पूर्ण किया। आठवीं पास श्यामल के निर्णय पर शुरू में लोग मजाक उड़ाया करते थे, उन्हें ताना देते थे, ऐसे कई अवसर आए जब उनके हौसले को तोड़ने की कोशिश की गई, कई बार स्वास्थ्य ने भी साथ छोड़ा और वह गंभीर रूप से बीमार हुए लेकिन यह स्वाभिमानी किसान अपनी धुन में लगा रहा, बिना किसी बात की परवाह किये। आखिरकार चुनौती ने भी अपने हथियार डाल दिए और उनके संकल्प की जीत हुई। इस उम्र में जबकि इंसान अपनी सेहत के आगे बेबस होने लगता है, जब उसके हाथ-पैर उसके काबू में नहीं रहते हैं, उसके लिए घर की चारपाई ही एकमात्र सहारा होती है, ऐसी उम्र में श्यामल चैधरी ने तालाब खोदकर नई पीढ़ी को भी संदेश दे दिया। तालाब के पानी का उपयोग वह जहां अपने खेतों में सिंचाई के लिए करते हैं वहीं दूसरों को भी इसका उपयोग करने की इन्होंने इजाजत दे रखी है। आज न सिर्फ विशुनपुर-कुरूआ बल्कि पेटसार, मरगादी, बेलटिकरी और बैगनथरा सहित कई गांवों के किसान उन्हीं के निर्मित तालाब के पानी से सिंचाई कर अपने खेतों को लहलहा रहे हैं।((एक ग्रुप से पढ़ी खबर ))

पहाड़ से ऊंचा व्यक्तित्व

विचार :- ( एक दोस्त ने दी खबर )
दुनिया में इतिहास रचने वालों की कोई कमी नहीं है। कुछ लोग अपना नाम चमकाने के लिए इतिहास रचते हैं तो कुछ लोग निस्वार्थ रूप से अपना कार्य करते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है।
बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी एक ऐसे ही इतिहास रचयिता रहे हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के इलाज में बाधक बने पहाड़ को काटकर सड़क निर्माण किया था। दशरथ मांझी की कहानी आज बिहार की स्कूली किताबों में दर्ज है, जिसका शीर्षक है-पहाड़ से ऊंचा आदमी।

श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Saturday 17 March 2012

गरीब का दर्द

विचार :-
क्या इस दुनिया में कोई नहीं जो इस गरीब का दर्द समझ सके, उस हज़ारो लाखो गरीबो को अपना सके ! क्या कोई नहीं है...............!!!
भूखमरी, गरीबी, लाचारी, बेरोज़गारी, भष्टाचारी, शोषण करते ये शासक क्या कोई नहीं है जो इनकी पीड़ा सुन सके !

लड़कियों के लिए सलाह

विचार :-
आज मै सिर्फ उन लड़कियों के लिए एक सलाह देना चाहता हू जिनकी शादी नजदीक हो या शादी अभी अभी हुई हो या फिर कोई भी अन्य लड़की भी इसे पढ़ सकती है !
मेरी उन लड़कियों के लिए सिर्फ एक ही सलाह है की जब भी आपकी शादी हो या हो चुकी हो तो अपने ससुराल में जाकर कभी भी अपने मायके या फिर भी अपने मायके में अपने ससुराल की इतनी बातों का जिक्र कभी ना करे की ससुराल पक्ष को मायके में और मायके पक्ष को ससुराल में दिलचस्पी होने लगे और वो उनके बारे में आपसे और अधिक बात करने लगे या उनके बारे में कान भरने लगे !
अगर एक बार ऐसा हो गया तो हो सकता पहले पहले ये आपको अच्छा लगे लेकिन एक दिन ऐसा आएगा की आपका घर परिवार टूटने लगेगा और एक दिन टूट का चूर चूर हो जायेगा और आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पायेगी और उस वक्त आप ये कभी समझ भी ना पायेगी की आपने क्या गलती की थी !
श्रेणिक जैन............

घर के झगडे और उन पर राय

विचार :-
अपने अनुभवों और घर के प्रत्यक्ष प्रमाण से एक बात मैंने सीखी है की कभी भी बच्चो के झगडो में बडो को और सास बहु के झगडो में बाप बेटे को नहीं बोलना चाहिए !
संभव है की दिन में बच्चो में या सास -बहु में कुछ कहा सुनी हो जाये और ये बात वो आपसे(बाप- बेटे से ) कहे ! उनके पतियों को उनकी बात सुननी जरुर चाहिए लेकिन किसी भी बात को लेकर कहा सुनी नहीं करनी चाहिए बस सहानुभूति दिखाए !
और अगली सुबह "आगे पाठ -पीछे सपाट " वाली निति अपनानी चाहिए तभी घर की एकता कायम हो सकेगी क्योकि छोटे बच्चे और सास-बहु बहुत जल्दी ही सब कुछ भूल कर दुबारा एक हो जाती है लेकिन अगर घर में कलह कलेश हो गया वो उतनी जल्दी ठीक नहीं होता !
श्रेणिक जैन 

Friday 16 March 2012

मन के विकल्प और सच्चे जैन- मुक्तक (8)

जिनके   मन   में   विकल्प   हो   वह   बेचैन   होते   है ,
परिग्रह   संग्रह   करने   में   जैन   ही   मेन   होते   है !
उत्तम कुल में जन्म लेने मात्र से कोई महान नहीं होता !
वीर के सिदान्तो का पालन करते वो ही सच्चे जैन होते है !!

Thursday 15 March 2012

बदलता घर का माहौल और गलती किसकी ?

एक दुखती कहानी श्रेणिक जैन की जुबानी :-
सच दोस्तों जब ये लिख रहा था तो इतना रोया की थोड़ी ही लिख पाया और एक लड़की के बहुत से रूप देख के मन अचंभित हो उठा.

एक हँसता खेलता परिवार
जो बाटता रहता अपने खुशी और गम
कभी खुशी में झूमता
तो कभी गम में २ आशु बहा देता

फिर एक दिन घर के बड़े बेटे की आई बहु
मत पूछो घर में क्या हुआ और कैसे कहू

लड़की का शादी के बाद ससुराल ही होता है असली घर
ये मानने की बजाये वो भूल ही ना पाई अपना पुराना घर
शामिल करने लगी वो हर बात में अपने मायके वालो को
इस बात का पता नहीं क्यों उसकी माँ ने उठाया फ़ायदा
और लगानी सुरु की लड़की के घर में आग
3 बार लड़की भी गयी अपनी ससुराल से भाग

लड़की अब एक आँख भी पसंद नहीं कर रही थी अपनी सास को
वो नित नियम भरने लगी थी अपने सुहाग को

वो रोजाना लड़ने लगा अपने पिता से
जैसे की लड़ रहा हो किसी और के पिता से

नित नित बढ़ने लगे थे झगडे, कलेश और कलह
करने की कोशिश बहुत की पर हो ना पाई सुलह

औरतों की जिद्द के आगे झुक गए दूसरे मर्द
क्या कहे और कह नहीं सकते उस घर का दर्द

एक दिन होने लगा बँटवारा

बड़े भाइयो में एक ने ली कार
किसी के हिस्से में जमीन जायदाद आई
मै घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से में माँ आई.........


इसके आगे और नहीं लिख सकता हू क्योकि आख से बहुत आशु आ गए थे जब ये लिखी धन्यवाद भाई
श्रेणिक जैन
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 14 March 2012

बदलते रिश्ते

विचार :-( मेरा नहीं है )

तुलसी की जगह अब Money plant की हो गयी ,
चाचीजी बठे बिठाये Aunt हो गयी !
पिताजी जीते जी डैड हो गये,
आगे और भी है आप तो अभी से Glad हो गये..!
भाई Bro हो गये बहिन अब Sis हो गयी,
दादा दादी की तो हालत अब टाँय टाँय Fiss हो गयी!
बड़ी बुरी दशा परिचारिका (नर्स) के Mister की हो गयी,
बेचारे की तो बीवी भी Sister हो गयी!
मुन्नी बिना कुछ किये बदनाम हो गयी,
ऊपर से शीला भी जवान हो गयी!

TV की सास बहु मेँ साँप और नेवले सा रिश्ता है,
पता नहीँ ये एकता कपूर औरत है या कोई फरिश्ता है!
जीती जागती माँ बच्चोँ के लिये Mummy हो गयी,
घर की रोटी अब अच्छी कैसे लगे
5 रुपये की Maggi जो इतनी Yummy हो गयी!

दिन भर बेटा सिर्फ  CHATTING ही नहीँ करता,
रात मे Mobile पर SETTING भी करता है!
लैला और मजनूँ के भूत भी अब पछताते हैँ,
क्योँकि उनके नाम अब सड़क किनारे नुक्कड़ पे
हर आशिक के मुख से पुकारे जाते हैँ !


Tuesday 13 March 2012

अकेले चलना और सीखना

सुविचार :-
मेरे विचार से इंसान को जिंदगी के पथ पर हमेसा अकेले बढ़ना चाहिए, और अगर हमेसा भी ना बढ़ पाए जो अकेला चलने का प्रयास हमेसा करते रहना चाहिए क्योकि इंसान अकेले रहते हुवे ही वो कठिनाइयों से अच्छे से लड़ने का तरीका सीख सकता है !
मेरा मानना है की जब तक वो दूसरों के साथ चलता रहेगा या तो वो किसी की मदद का आदि हो जायेगा या अपने कार्य भी दूसरे से कराने लगेगा !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा सबसे क्षमा सबको क्षमा
पाप क्षय पुण्य जमा  

Sunshine वाली आशा ..


उम्मीद  वाली  धुप , Sunshine  वाली आशा ..
रोने की वजह है कम, हँसने के बहाने ज्यादा ..
जिद है मुस्करायेंगे , खुश  रहने  का  है वादा ..
उम्मीद  वाली  धुप, Sunshine  वाली  आशा ..

तुम दिल से अगर पूछोगे ,वो खुश रहना ही चाहे..
जब  सच्चे मन से मांगो , तो खुल  जाती हैं  राहें..
तो खुल के खुशी लुटाओ , ये  क्या  आधा-आधा..
उम्मीदों  वाली  धुप ,  Sunshine  वाली  आशा  ..
उम्मीदों  वाली  धुप ,  Sunshine  वाली  आशा ...


--आने वाले खुशी के पल पर सदा विश्वास रक्खो ..

Monday 12 March 2012

इंसानी भेडिये कैसे कैसे

आज जब मैं ये रचना पढ़ रहा था तो जैसे आँख से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे
आप भी पढ़े और खुद सोचे की कहा है आज हम कैसे भेडिये बन गए ये कविता मेरी नहीं एक कॉपी की गयी रचना है !
कृपा कर पसंद करे तो कमेन्ट करे और फोल्लो भी


शीर्षक ---शेर को चूमती हुई लड़की का फोटो अखबार में देखकर

भूमिका
उस का प्रेम ही तो है
जो हौंसला देता है
शेर का भी चुबन ले लेने के लिये
नहीं तो कितनी सी देर लगती है
आत्मीय मर्द को भी
आदमखोर हो जाने में

इंसानी भेडियो की कहानी
आए दिन
छपते हैं समाचार
कि दहेज लौलुपों ने जला दी जिन्दा बहू
कि सगे चाचा ने खींच दिये
किसी मासूम बच्ची के ललाट पर,
अपनी हवस के रींगटे
कि कोई आदमी
टॉफी का लालच देकर ले गया
एक मासूम बच्चे को
इंसानी माँस का स्वाद चखने के लिये।

मनुष्य के वेश में घूमते
भेड़ियों से बचने के लिये
बहुत ज़रूरी हो जाता है शेर का अपनापन
शेर पिंजरे में हो तो भी क्या हुआ
भेड़ियों और गीदड़ों को भगाने के लिये तो
पर्याप्त होती है उसकी एक दहाड़ ही।
मनुष्य हो या जानवर
जीवन तो प्रेम की ही करता है तलाश
इंसान की सच्ची खुशी को प्रेम कहते है
ना की इंसान की गन्दी भूख और हवस को......

Sunday 11 March 2012

कहने का फर्क

विचार :-
2 दोस्त थे ! आपस में बात कर रहे थे !
एक दोस्त ने कहा -"मेरा छोटा सा परिवार है घर में मैं, मेरी बीवी और मेरे 2 बच्चे है और मेरे मम्मी और पापा भी मेरे साथ ही रहते है !"
दूसरे दोस्त ने कहा -"मेरा भी छोटा सा परिवार है घर में मैं, मेरी बीवी और मेरे 2 बच्चे है और मैं अपने मम्मी और पापा के साथ ही रहता हू !"
तो देखिये बात दोनों ही एक है लेकिन कहने के तरीके की वजह से कितनी अलग हो गयी है
खुद सोचिये.....!!!!!!!
श्रेणिक जैन........
ओम् नमः सबसे क्षमा सको क्षमा
पाप क्षय पुण्य जमा

बेटी कहती बाबुल से


BETI KAHTI BABUL SE :-
******************
मुझे इतना प्यार न दो बाबा
कल जाने मुझे नसीब न हो,,,,,,
ये जो माथा चूमा करते हो
कल इस पर शिकन अजीब न हो.....

मै जब भी रोती हूँ बाबा
तुम आंसू पोंछा करते हो,,,,,,
मुझे इतनी दूर न छोड़ आना
मै रोऊँ और तुम करीब न हो......

मुझ पे नाज़ उठाते हो बाबा
मुझे लाड लुडाते हो बाबा,,,,,,,
मेरी छोटी छोटी ख्वाहिश पर
तुम जान लुटाते हो बाबा.........

कल ऐसा हो एक नगरी मे
मै तन्हा तुमको याद करूँ
और रो रो कर फ़रियाद करूँ,,,,,

ए मालिक ! मेरे बाबा से
कोई प्यार जताने वाला हो
मुझ पे नाज़ उठाने वाला हो.....

मेरे बाबा मुझसे ये कह दो
मुझे तुम छुपा कर रखोगे,,,,,,
दुनिया की ज़ालिम नजरो से
मुझे तुम छुपा कर रखोगे.....

कब ढूढो चुल्लू भर पानी..?

विचार :-
संत कहते है की
घर आये अतिथि को हमेसा भोजन के लिए पूछना चाहिए !
भोजन के लिए ना पूछ सके तो कम से कम पानी पूछना चाहिए !
पानी भी ना पूछ सके तो कम से कम उसे आसन दो बैठने को,
आसन भी ना दे सको तो कम से कम उससे 2 बोल मीठे बोलो,
मीठे बोल भी ना बोल सको तो कम से कम उसकी तरफ मीठी सी मुस्कान बिखेरो,
और मुस्कुरा भी ना सको तो चुल्लू भर पानी में डूब मारो !!!!!!!!!!!!!!
श्रेणिक जैन.........
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा
ओम् नमः सबसे क्षमा सको क्षमा

Saturday 10 March 2012

मेरा पोस्ट बेजुबान की जबान

विचार :-

वो भी एक जीव है, उसके भी अरमान होते है, वो भी बीमार होता है, वो भी दुःख सुख समझता है, महसूस करता है, तुझमे और उसमे फर्क बस इतना है की तू उसकी भाषा नहीं समझता !
मनुष्य... भगवान् की सर्वोत्तम रचना होने का दावा करता है और काम ऐसे..... छि छि छि .............शेयर करे.. एक पोस्ट समाज के उन बेजुबान जानवरों के नाम

Friday 9 March 2012

णमोकार मंत्र महामत्र क्यों ?

विचार :-
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं

णमोकार मंत्र एक ऐसा मंत्र है जिसकी गहराई मापने के लिए सारे समुन्द्र की स्याही बना लें और आकाश को कागज़ बना ले और तब इसकी गहराई लिखे तब भी नहीं लिख सकते इतना विशाल है अपना णमोकार महामंत्र !
णमोकार मंत्र को महामत्र इसीलिए कहा जाता है क्योकि इसके बारे में प्रचलित है की ये मंत्र 14 पूर्वो का सार है और विश्व की सारी शाब्दिक विशिष्टता, ज्ञान राशि इन्ही 14 पूर्वो में समां सकती है और इस अकेले मंत्र से 84,00,000 मंत्रो की उत्पत्ति हुई है इसीलिए इसे महामंत्र कहा गया है !
और इसे महामंत्र कहने के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह ये भी है कि इस मंत्र में किसी से भी कोई इच्छा नहीं की गयी है ना ही किसी से कुछ कामना की गयी है बस निस्वार्थ भाव से सबको नमस्कार किया गया है !

मांस निर्यात पर रोक

विचार :-
मूक पशुओ की वेदना ना सुनने वाले ओ पापी मनुष्य आज इस धर्म प्रधान देश में अपनी जीभ की स्वाद के साथ साथ विदेशो में भी मॉस के निर्यात को करके ना सिर्फ अपने आत्म कल्याण के पथ से भटक रहा है बल्कि अनगिनत पाप का भागी भी बन रहा है !
हमारी हिंसा का जाल अब इतना घिनोना और खून से सना हुवा हो गया है की हम अपने पालतू कृषि-पशुओं को भी काटकर खाने लगे है ! आज हमारे ही अपने देश में जो कभी महावीर, बुद्ध, गाँधी, विनोबा, विवेकानंद और राम कृष्ण जैसे महापुरषो की जन्मभूमि रहा है ऐसे देश में उस पशुधन को बिना संकोच कसाई को सौप रहे है जो पशुधन वर्षों से हमारा भरण पोषण कर रहा है !
माँसाहार और मॉस निर्यात से जुड़े कुछ तथ्य:-
१.देश की आजादी के समय देश में कुल 300 क़त्लखाने थे जो आज बढ़कर 3000 से भी आगे बढ़ गए !
२.अकेले देवनार (मुंबई) का कत्लखाना एशिया का ऐसा कत्लखाना है जो प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक पशुओ को मौत के घाट उतारता है ! ये प्रतिमास 80,000 टन मांस का निर्यात करता है !
श्रेणिक जैन
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

जीवन में गिरावट क्यों ?

विचार :-
जहाँ दिखावट, बनावट, सजावट, मिलावट और कड़वाहट होती है, वहाँ जीवन में नियम से गिरावट ही होती है, जीवन में फिर मुस्कुराहट नहीं ठहर पाती !
अतः हठ, वट, नट, कट को झट-पट छोड दें, और फटा-फट अपने आपको अपने आप से जोड़ दें, यही जीवन की सार्थकता का उपाय है !
श्रेणिक जैन .........
ओम् नमः उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा........

चाहे जो करो दुनिया आपको जीने नहीं देगी ....!!!!

विचार :-
आप चाहे जो मर्ज़ी कर लीजिए लोग हमेसा आपको कुछ ना कुछ कहेगे ही....ये दुनिया आपको किसी भी रूप में जीने नहीं देगी इसका सबसे बड़ा उदाहरण मैं आपके सामने रख रहा हू !
अगर कोई इंसान दिन भर मेहनत करे तो लोग कहते है की पैसे के लिए मरता है 
मेहनत ना करे तो निख्खटू..........
कम मेहनत करे तो घर वालो का ख़याल नहीं रखता......
पैसा खर्च करो तो फिजूलखर्ची...........
ना करो तो सुनने को मिलता है कंजूस मक्खीचूस.......
और सुनिए 
आपके पास पैसा बहुत हो तो कहा जाता है 2 नंबर का है 
कम पैसा हो तो कहा जाता है अक्ल होती तो ये हालत ना होती 
और जिंदगी भर के पैसे के बारे में कहते है की पैसे का सुख नहीं भोगा तो कमाया ही क्यों ?
श्रेणिक जैन 
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

Thursday 8 March 2012

बहुत बहुत धन्यवाद

आज कोई विचार नहीं आज सिर्फ मेरे सभी पाठकों को मेरा हाथ जोड़ कर जय जिनेन्द्र और साथ ही साथ बहुत बहुत धन्यवाद क्योकि आज मेरे ब्लॉग को पूरा एक महीना हो गया और इसे 2000 ( Excluding me ) से ज्यादा लोगो से पढ़ लिया !
और साथ साथ मैं क्षमा प्राथी भी हू अगर मुझसे कोई गलती हुई हो !
तो सब ऐसे ही पढते रहे और आप मुझे अपनी ID से Follow भी कर सकते है..........!!!!

comment से डरते लोग


कुछ लोग Comment or Follow करने मे ऐसे डरते हैं
.
.
.
जैसे बिना टिकिट ट्रेन मे सफर कर रहे हों और Ticket Checker बस आने को हो.....

जैसे जूते चुराई की रस्म से पहले दूल्हा.....

जैसे पहली बार नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहे हों और आपका ही नंबर आने वाला हो.....

जैसे रोमिंग मे कॉल रिसीव कर रहे हो और मोबाइल में केवल २ रूपए हो ....

जैसे साथ में गर्लफ्रेड हो और जेब में बहुत कम पैसे हों.....

जैसे बाईक मे बिना हल्मेट जा रहे हो और आगे चेकिंग चल रही हो.....

जैसे लडका पहली बार किसी लडकी को प्रेम प्रस्ताव दे
रहा हो और उसके भाई से मार खाने का डर हो............!!!!!!

श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Wednesday 7 March 2012

होलिका दहन कितना उचित ?

विचार :-
आज मैंने देखा जगह जगह होलिका के रूप में एक लकडियों का ढेर बना हुआ जिसमे आग लगाकर लोग उसे होलिका दहन कहते है !
मुझे नहीं पता की धर्म के हिसाब से ये कहा तक उचित है लेकिन मै तो सिर्फ इस पर अपना विचार रखना चाहता हू क्योकि मेरे विचार ये बिलकुल भी उचित नहीं है क्योकि :-
१. पहला कारण तो हमारे अंदर इतनी बुराई भरी हुई है हमे अगर वास्तव में होलिका दहन करना है तो हमें सबसे पहले उन बुराइयो को मिटाना चाहिए तभी वास्तव में हमें होलिका दहन का वास्तव में मतलब सिद्द हो सकता है !
२. और दूसरा इस दिन इतनी लकडियों को जलाया जाता है जिसका वास्तव में कोई भी ओचित्य मुझे नज़र नहीं आता क्योकि इससे हमारे पर्यावरण में निरंतर पेडो की संख्या ओर घट जायेगी जो हमारे पर्यावरण के संतुलन के लिए ओर घातक है !
३.तीसरा कारण एक ये भी है की जितनी लकडिया जलती है उसे ना जाने कितने आस पास  के पेड पोधे ओर सबसे ज्यादा कीट पतंगे और ना जाने कितने सूक्ष्म जीव झुलस कर मर जाते है !
श्रेणिक जैन
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

होली में खुशी या गम

विचार :-

क्या आपको नहीं लगता की आज भगवान को अपनी छुद्र(छोटी और गन्दी) राजनीति का जरिया बना कर धर्म के तथाकथित संरक्षक बन बैठे एक नहीं अनेको हिरण्यकश्यप सारे देश में घूम-घूमकर रंगों की होली की जगह खून की होली खेल रहे हैं ।

अपने विश्वास को संविधान , कानून , राष्ट्र और जनता से ऊपर और अपने किये कार्यों को ही देश का कानून समझने वाले ये हिरण्यकश्यप देश की जनता की एकता , सद्भावना, परस्पर विश्वास और लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर अपनी कूटनीति वाली चालों से हर वक्त हर छन आघात कर रहे हैं । अपनी बहन होलिका रूपी साम्प्रदायिकता के माध्यम से कई निर्दोष और मासूमों को अपना शिकार बना रहे हैं

जो व्यक्ति या संगठन इनके विचारों से असहमति रखते हैं उन्हें सबक सिखाना,डराना,धमकाना ,मार-पीट करना,सभा बिगाड़ना,पुतला जलाना और अन्त में दमन कर कर के हत्या तक कर देना इन हिरण्यकश्यपों की दृष्टि में पवित्र धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है ।

धर्म और भगवान के ठेकेदार बने स्वयंभू हिरण्यकश्यपों और साम्प्रदायिकता रूपी होलिका रुपी समाज की मर्यादा का हर वक्त बलात्कार तक करने से पीछे नहीं हट रहे क्या ये होलिका का सच्चा मर्म नहीं है

जब इतने बड़े बड़े हिरण्यकश्यप तक इस दुनिया में घूम रहे है तो कहा तक होलिका का दहन न्यायसंगत है ? खुद सोचिये..........!!!!!!!!

श्रेणिक जैन

होलिका दहन

विचार :-
मैंने सुना है की होली के पर्व पर रात को होलिका दहन किया जाता है,
क्या ऐसा नहीं हो सकता है की होलिका दहन पर हम उस दहन में अपने अंदर छिपी बुराई, कुरीतियों, छोटो के प्रति हमारे अन्याय करने की प्रवर्ती को भी जला दे ??
जहा तक मैंने सुना है कुछ परम्पराओ के अनुसार होलिका दहन इसीलिए किया जाता है क्योकि इस दिन बुराई ( हिरण्यकश्यप ) पर अच्छाई ( प्रहलाद ) की जीत हुई थी तो क्या हम अपने अंदर की बुराई को मिटा कर उस पर सच्चाई और धर्म की जीत नहीं करेगे !

होली

विचार :-
आ गयी है होली देखिये चारो और छा रही है खुशिया
तो क्यों ना सब गिले शिकवे मिटा कर एक दूसरे से गले मिल ले
क्यों ना इस बार आओ रंग बिरंगे इन रंगों की तरह अपने से जुड़े हर इंसान की झोली को रंग बिरंगी खुशियों से भर दे..............

Tuesday 6 March 2012

लायक या नालायक फैसला आपका

विचार :-
माँ- बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढाना-लिखाना और पढ़ा-लिखाकर खूब लायक बनाना, मगर इतना भी लायक मत बना देना कि कल वो तुम्हे ही नालायक समझने लगे !
अगर तुमने आज ये भूल की तो कल बुढ़ापे में तुम्हें बहुत रोना-पछताना पड़ेगा ! यह बात मैं इसीलिए कह रहा हूँ, क्योकि कुछ लोग यह भूल जिंदगी में कर चुके है और वे आज रो रहे है लेकिन इतना ध्यान रखना की अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा.........

नीचे बैठना और गिरना

आज एक बहुत सुन्दर कहानी पढ़ी जिसमे एक बहुत सुन्दर पैरा पढ़ा वो आपके सामने रख रहा हू !
कि किसी ने शंका समाधान के वक्त एक संत से युही पूछ लिया कि आप जमीन पर बैठना इतना पसंद क्यों करते है जबकि सब आपको कुर्सी पूछते रहते है ?
तो संत ने बड़ी सरल भाव से उत्तर दिया की नीचे बैठने वाला मनुष्य कभी गिरता नहीं....
उनका इतना कहना था की सदन में तालियाँ गूंज उठी !

जय जिनेन्द्र का अर्थ


जय जिनेन्द्र का अर्थ है , 'जय ' यानी जयवंत रहो , जयवंत हो जाओ ऐसा भी होता है !
इसके कई अर्थ हो सकते है जैसे :-
१. जयवंत हो जाओ ,
२. जिनेन्द्र भगवन के सामान विजयी बनो
३. जिनेन्द्र भगवान की जय हो
४. विजय बनो , जीतने के लिए संसारी प्राणी के पास बहोत कुछ है ,जीतने के जो विषय है वो अन्तरंग में है , विजय किसपर पाना , एक विकारी भाव और दूसरा विकार भाव उत्पन्न करनेवाले पर विजय पाना है !
जो संसारी प्राणी दुःख से पीड़ित है उसे जय जिनेन्द्र बोलते है , जिनेन्द्र भगवन ने अपने आत्मा के विकारी भावों को जीतकर संसारी वास्तु को जीत लिया है , वैसे ही दुखी व्यक्ति भी दुःख को जीतकर सुखी हो..... जय-जिनेन्द्र – जैनों में परस्पर विनय और प्रेमभाव प्रकट करने के लिये जय-जिनेन्द्र शब्द बोला जाता है । पहली बात तो जय जिनेन्द्र बोलने से जैन होने की पहचान होती है और साथ में भगवान् का नाम भी हम ले लेते है अगर कोई हमारे मुख से जय जिनेन्द्र सुने तो हमारे संस्कार अच्छे दीखते है ......जय जिनेन्द्र

मोक्षमार्ग का रास्ता मुक्तक (7)

मुक्तक मोक्षमार्ग का रास्ता (7)

शांति चाहते हो यदि तो, ह्रदय से ह्रदय मिलाकर देखो,
चैन  के  लिए  सम्यकज्ञान  का  दीप  जलाकर  देखो !
चाहते  हो  यदि  तुम  मोक्षमार्ग  का  रास्ता  मेरे  बंधू ,
तो  जीवन  में  सद्  धर्म  का  फूल  खिलाकर  देखो  !!

Sunday 4 March 2012

तीर्थंकर

विचार :-
जैन धर्म के अनुसार जो संसार सागर से स्वयं तैर कर पार होकर तथा अन्य जीवो को तैरने के साधनों का उपदेश देते है और प्रचार करते है उन्हें तीर्थंकर कहते है ये काल के अनुसार 24 होते है
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा  

Saturday 3 March 2012

कन्या हत्या और इंसानी कुत्ते कविता (४)

कोर्ट में अलग ही मुकद्दमा आया
सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया

सिपाही ने जब कटघरे में उस कुत्ते को खोला
कुत्ता रहा चुपचाप, मुह से कुछ भी ना बोला

नुकिले दाँदां में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था 
चुपचाप था कुत्ता, किसी से नजर नही मिला रहा था 

हुआ खड़ा एक वकील
देने लगा दलील

बोला, ये ज़ालिम पेचीदा है
जज सॉब ये कुत्ता है

इसने जो साख कमाई है
देख कै इन्सानियत घबराई है

क्रुर है, निर्दयी है, इसने बहुत तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दांतों से खाई है

अब कतई ना देखो बाट
उतारो इसको मौत के घाट
जज का गया खून खोल
तू क्यूँ खाई कन्या अबे बोल

हुक्म आप इसे जिंदा रहने मत दो 
कुत्ते का वकील बोला, इसे भी कुछ कहने तो दो

तब कुत्ते ने अपना मुँह खोला 
बड़े ही सहज सुर मैं वो बोला 

हाँ, मैंने वो कन्या खाई है
अपनी कुत्तानियत निभाई है

कुत्ते का धर्म है नही दया दिखाना
माँस चाहे किसी-का हो, बस खा जाना

पर मैं दया-धर्म से दूर नही
खाया तो है, पर मेरा कसूर नही

मुझे पता है, जब वो बच्ची गई फैकाई 
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई

जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आंखो मैं देखा भोला विश्वास

जब वो मेरी जीभ देख कै मुस्काई थी 
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी 

मैंने सूंघ- कर बड़ी मुश्किल से वो घर खोजा था
जहाँ थी माँ उसकी, और बालक भी सोया था 

मैंने कू-कू करकै वो माँ जगाई
पूछा तुने वो, कन्या क्यों फैकाई

चल, मेरे पीछे, उसे लै कै आ
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला
माँ सुनते ही रोने लगी
अपने दुखडे धोने लगी

बोली, नही लाऊँगी अपने कलेजे के टुकड़े को
कैसे कर खोल बताऊँ अपने मन के दुखड़ै को

मेरे घर पहले ही चार छोरीयाँ है
दो को बुखार है, और दो चटाई पै सो रई है

मेरी सास मारै है ताना की मार
मुझे पीटने आता मेरा भरतार

बोला, फिर छोरी ले आई
कैसे होगी इनकी ब्याह सगाई

वंश की तुने काट दी बेल
जा खत्म कर दे इसका खेल

माँ हूँ, पर थी मेरी लाचारी
तब फैंक आई, छोरी प्यारी

कुत्ते का गला भर गया
पर ब्यान वो पुरा कर गया

बोला, मैं फिर वापस आ गया
दिमाग मैं मेरे धुंआ सा छा गया 
वो कन्या अंगूठा चूस रही थी
हँसी ऐसे जैसे मेरे इन्तजार में जाग रही थी

कलेजे पै धर लिया मैंने पात्थर
थर-थर काँपने लगा मेरा ज़ॉथर 

बोला, ऐ बावली, जी कै, क्या करेगी 
दूध नही, जहर है, पी कै, क्या करेगी 

हम कुत्तो को करते है बदनाम
हम से ज्यादा घिनौने करते है काम

कब ज़िन्दी अरक दे पेट मैं मरवाते है
और अपने आप को इन्सान बताते है

मेरे मन मैं भय कर गई उसकी मुस्कान
मैंने आज इतना तो लिया जान 

जो समाज इस-से नफरत करता है
कन्या हत्या-सी गन्दी हरकत करता है

वहाँ-से तो इसका जाना अच्छा 
इसका तो मर जाना अच्छा 

तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते
पर ढूढ कै लाओ पहले वो इन्सानी कुत्ते
पर ढूढ कै लाओ पहले वो इन्सानी कुत्तेBottom of Form

आज़ाद देश कैसा है ? कविता (३)

देश आज़ाद हो  गया  जाने  मेरी  जबानी !
क्या सच आज़ाद हो गया सुनिए कहानी !!
     
       आतंकवाद... खून  की  बोछार देखिये
       नेताओ का अपने देश से प्यार देखिये
       कश्मीर   से   अलगाव   देखिये   और
       जनता    की    चीख    पुकार    देखिये

बापू   के  नाम  पर  झूठ  बोलते  जानी
देश आज़ाद हो गया सुनिए मेरी जबानी
   
      भूखमरी  है   देश   में  फैली तो क्या हुआ
       सोने से भरी उनकी तिजोरी तो क्या हुआ
       झोपडी   है   रोती  सिसकती तो क्या हुआ
       बंगले में कैद देश की  हस्ती तो क्या हुआ

गोरे  गए  अब  कालो  की है  ये  कहानी
देश आज़ाद हो गया सुनिए मेरी जबानी

        देखो चोर माफिया आज़ाद है यहाँ
        भेडियो  के  झुंड ही आबाद है यहाँ
        कैद  हुवे  वो  जो  बचाते  लाज  है
        आज़ाद घूम रहे लाज  बेचने वाले

गद्दारों   के   गद्दारी  की   है   ये   कहानी
देश आज़ाद हो गया सुनिए मेरी जबानी 

देवतुल्य जीव

विचार :-
जो भव्य जीव संसार के समस्त प्राणियों से योग्य क्षमा माँग लेता है और संसार के प्रत्येक प्राणियों को उनके किये गए कार्यों चाहे वो स्वेच्छा से किये हो या बिना जाने उन सबके लिए  ह्रदय से क्षमा कर देता है वही मनुष्य सही मायनों में भव्य जीव होता है, वही साधू होता है, वास्तव में वही अभिवन्द्नीय होता है, और वही वास्तव में देवत्व के पद का सच्चा अधिकारी होता है !
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन 

उन्नति और अवनति

विचार :-
मेरे विचार से इंसान के भविष्य का निर्धारण सिर्फ एक ही चीज़ से होता है और वो है उसके अपने कर्म.......
मेरे विचार से उन्नति और अवनति में सिर्फ इतना ही फर्क है की इंसान अगर अपने ऊपर के कर्तव्यों को यथोचित तरीके से अर्थात सही ढंग से करे तो वो निरंतर उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा अन्यथा अवनति के पथ पर बढ़ चलेगा
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन............

क्षमा कितना कठिन

विचार :-
मेरा मानना है कि व्रत, उपवास, संयम, स्वाध्याय, भक्ति, पूजा, दान, तपस्या, करना बहुत आसान होता है!
परन्तु यदि मै सबसे कठिन की बात करू तो मेरे विचार से जो सबसे कठिन होता है वो ये की हम किसी को दिल से उसके किये गए अपराध जो उसने जान बूझ कर किये या फिर बिना जाने किये उन सब के लिए दिल से क्षमा कर पाये!
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन 

Friday 2 March 2012

दान

विचार :-
दान के चार भेद :-
दान के बारे में बताने से पूर्व में आपको सिर्फ ये बताना चाहता हू की दान का महत्व तभी है जब आप दान देते वक्त मन शुद्ध रखे और किसी भी प्रकार की इच्छा रखे बिना दान दे....

१. अभयदान ,                          २.शास्त्रदान ,
३.औषधदान ,                           ४.आहारदान

1.अभयदान : यदि कोई जीव मरण से भयभीत हो रहा है ऐसे किसी भी जीव या जीवो को जो अभय दान देना ही अभयदान कहलाता है और जो अभयदान देता है अगर मनुष्य इस दान को करता है तो भविष्य में सारे विश्व में निर्भीकता जैसे गुणों का धारी बनता है !

2. शास्त्रदान : जो पुरुष शास्त्र दान देता है,जिनागम को पढता है तथा दूसरे मनुष्यों को पढ़ने में मदद करता है यही शास्त्र दान कहलाता है और जो मनुष्य ये दान करता है वह पुरुष मति श्रुती ज्ञान आदि ज्ञान और दान दोनो को पुर्ण रुप से प्राप्त करता है !

3. औषधदान : औषधी दान देने वाला मनुष्य ही औषधि दान के पुण्य का भागी बनता है वह आने वाले भविष्य में उत्तम तेज का धारी होता है और तेज, ओजस्वी आदि गुणों का धारी होता है !

4. आहारदान : और इन सबसे ऊपर आहार दान है जिसके फल का अगर वर्णन किया जाये तो रात से दिन हो जाये लेकिन मै सिर्फ यही कहना चाहुगा की दान की अनंतानत महिमा है और आहार दान देने वाले व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है !

Thursday 1 March 2012

धन से बुराई और भलाई

विचार :-
मेरा तोह मानना यह है की अगर धन किसी की भलाई के लिए काम आये अर्थात अगर हमारा धन किसी जरुरतमंद के काम आये तभी उसका कोई मूल्य है वरना तो ये धन आपके लिए सिर्फ बुराई का एक ढेर मात्र है जिससे जितनी जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना ही अच्छा है !
श्रेणिक जैन ........
पाप क्षय पुण्य जमा ओम् नमः 

णमोकार की गुणवत्ता और महत्ता

श्रेणिक जैन की कलम से :-
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं !

जैन धर्म का मूल मंत्र णमोकार मंत्र है, मेरी नज़र में इस मंत्र का महत्व इसीलिए अधिक है इस मंत्र में न तो जैन धर्म के आखरी तीर्थंकर भगवान महावीर का नाम है ना ही पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का ही नाम है इसमें केवल व्यक्तित्व को नमन है ना की किसी व्यक्ति मात्र को !
एक दूसरी विशेषता ये भी लगती की इसमें कोई विषय वस्तु की मांग भी नहीं की गयी है बजाये इसके सिर्फ सबको प्रणाम किया हुवा है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा