Wednesday 29 February 2012

लाल बत्ती और अगरबत्ती

विचार :-
बहुत से लोग सोचते है की उनकी गाडी पर भी बड़ी बड़ी लाल बत्ती होनी चाहिए लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है की प्रभु की भक्ति के लिए लाल बत्ती नहीं अगरबत्ती की जरुरत होती है !
लेकिन ध्यान रखना अगर आपके पास प्रभु भक्ति के लिए अगरबत्ती नहीं है और सिर्फ आपकी गाडी पर लाल बत्ती है तो ये कर्म आपको ऐसी लत्ती मारेगे की फिर अपनी आपको देखने के लिए एक मोमबत्ती भी नहीं मिलेगी !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

हिंसा और अहिंसा

विचार :-
कुछ लोग सिर्फ शारीरिक कष्ट को ही हिंसा का रूप समझते है लेकिन आपको शायद पता नहीं लेकिन शारीरिक कष्ट पहुँचाना ही नहीं अपितु किसी को मानसिक रूप से कष्ट पहुँचाना भी हिंसा का ही रूप है!
जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो हमे किसी का जीवन लेने का हक किसने दे दिया  ! हमें किसी भी जीव की हिंसा करने का कोई हक नहीं है ! जीवन जाना (मरना) और नए जीवन की उत्पति ( पैदा होना ) ये सब जीव के कर्मो से निर्धारित होता है और हमें किसी के कर्मो में हस्तक्षेप करने का हक किसने दे दिया !
छोटे में समझाऊ तो विचार या कार्य से किसी भी जीवित प्राणी को हानि न पहुँचने देना ही अहिंसा है !
श्रेणिक जैन..................

Monday 27 February 2012

पात्र और कुपात्र

विचार :-
देखिये ना पात्र और कुपात्र में कितना फर्क है , जहाँ एक और गाय जिसे सब माता की संज्ञा देते है खाती तो घास है लेकिन घास खाकर भी देती दूध ही है
वही दूसरी और एक साप नाम का जीव भी होता है जो पीता तो है दूध लेकिन दूध पीने के बाद भी वो उगलता जहर ही है
श्रेणिक जैन.......
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

भूख की कीमत

विचार :-
कितना सच कहा है ना किसी ने
कि किसी के खाने की कीमत तो कोई भी लगा सकता है, लेकिन किसी की भूख की कीमत तो स्वयं भगवान भी नहीं लगा सकता !
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन............
English :-
how true saying is this that every one can make a price for food, but no one even a god can make price for hunger.........!
shrenik jain...........

Saturday 25 February 2012

हो रहा भारत निर्माण

नींद में कैसे करे कल्याण , जब सो रही भारत सरकार !
ऐसे करे भारत निर्माण, देश की जनता मागे जवाब !!!!!!!!!!!!!

णमोकार मंत्र की महिमा

हर जैन की आत्मा णमोकार महामंत्र की महिमा 

प्रात:  काल  मात्र  जपो  णमोकार  भाई 
अक्षर   पैतीस   शुद्ध   हद्य   में   धराई
नरभव तेरो सुफल होत पातक टर जाई
विधन  जासो  दूर  होत  संकट में सहाई
कल्प  वृक्ष  कामधेनु  चिंतामणि   जाई
 रिद्धी,   सिदि    पारस    तेरो    प्रगटाई
मंत्र   जंत्र   तंत्र   सब   जाहि   से  बनाई 
सम्पति भण्डार भरे अक्षय  निधि  आई 
तीन  लोक  माही,  सार  वेदन  में  गाई
जग  में  प्रसिद्ध  धन्य  मांगलिक  गाई 

Friday 24 February 2012

दुःख क्यों ?

विचार :-
मेरे विचार से आदमी के दुखी होने का मुख्य कारण सिर्फ इंसान का दुःख ही नहीं बल्कि उसके दुःख का एक मुख्य कारण किसी और सुख भी है !
इंसान अपने दुःख से ज्यादा दूसरों के सुख से दुखी है उसे दुःख इस बात का नहीं की उसके पास दुःख है बल्कि इस बात का दुःख है की उसके पडोसी सुखी क्यों है ????
श्रेणिक जैन का आपसे सिर्फ यही अनुरोध है कि अभाव की जिंदगी जीने की बजाये या हर वक्त अभाव का रोना रोने के बजाये सदभाव की जिंदगी जीना ज्यादा अच्छा है ! जितना है उसी को प्रभु की रजा समझ के स्वीकार करे अरे उनके बारे में तो सोचे जिनके पास इतना भी नहीं है !
श्रेणिक जैन................
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

श्रेष्ठ की परिभाषा

विचार :-
सब लोग कहते है की श्रेष्ठ कौन ?
मैंने भी ये जानने की कोशिश की तो जवाब में सिर्फ एक छोटी सी बात ही मिली की "मानव पवित्र गुणों से विश्व पूज्य और श्रेष्ठ बनता है ना की जड़, वैभव, वेश एवं पद प्रतिष्ठा से !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Thursday 23 February 2012

णमोकार महामंत्र की महिमा

विचार :-
णमोकार महामंत्र अंतरात्माओ के साधना मार्ग में मील के पत्थरो का कार्य करता है जिस प्रकार मील का पत्थर मार्ग दिखाता है उसी प्रकार यह मंत्र अंतरात्मा को अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और सर्व साधू रूप तक पहुचने के लिए मार्ग परिज्ञान का कार्य करता है!

इसे इस प्रकार भी कह सकते है की जिस प्रकार एक जलता हुवा दीपक अनेक बुझे हुवे दीपक को प्रकाश से भर सकता है अर्थात जला सकता है उसी प्रकार ये मन्त्र हमारे अंतर मन को प्रकाश से भर सकता है !

English :-
namokaar mahamantra is like a mile stone of our path of life. As like a mile stone it gives path to go in our life, it also gives way of insight to our soul toward Arihant, Siddha, Aacharya, Upadhyaa, Sadhus.

We can also say that a aflame lamp can give light to many extinct lamp in the same way this mantra can give light of knowledge..........

गुस्से का दरवाजा

विचार :-
मै सिर्फ इतना कहना चाहता हू की कभी भी गुस्से में किसी के घर से बाहर निकलते समय दरवाजा इतनी जोर से मत बंद कर देना की कभी आपको उस घर में जाने की दुबारा जरुरत पड़े तो वो दरवाजा खुले ही ना
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
English
In Anger Never close a door so much tight from a person that if some day you want to open that door, its not open due to so much tightness............
shrenik jain...........

Wednesday 22 February 2012

स्वार्थ में पिसता धर्म

विचार :-
आज का इंसान कैसा हो गया ये देख के बहुत दुःख होता है क्योकि आज इंसान हर चीज़ को भावनाओ के अलावा और सब से जोड़ सकता है लेकिन भावनाओ का उसके लिए कोई महत्व नहीं रह गया है !
आज इंसान धर्म को भी बस अवश्यकताओ की पूर्ति का साधन मानने लगा है आज ये देख के दुःख होता है की इंसान के लिए आज अपने पूज्य को पूजने का भी कारण है वो सिर्फ उन्हें पूज कर धन और समृधि चाहता है ना की मन और विचारों की शांति इन सब में उसे अपने उद्धार की नहीं बल्कि अपनी तिजोरी भरने की पड़ी है !
ओम् नमः उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन........
English :-
i am very sad as because of the person's thinking changing everyday and he is with religion only for money and all luxury good and thing. he is not thinking that he is a soul and he should try to do some work for peace and rescue of his own soul
but do u know today person is only religious for his money and wealth
please work for peace not for wealth............
shrenik jain.........

अच्छाई और खूबसूरती

विचार :-
मेरा मानना है की खूबसूरत लोग हमेसा अच्छे हो ये जरुरी नहीं है लेकिन अच्छे लोग हमेसा खूबसूरत ही होते है ये सर्वथा सत्य है
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की
English :-
I think that beautiful person who is beautiful by face is always good it is not necessary that they are beautiful by nature also but the person who is good by nature will always be good by face too its fact...........

संत का आगमन

विचार :-
मेरे विचार से जब सम्पूर्ण समाज एवं नगर वासियों के पुण्य का उदय आता है तब ही नगर में संतो का आगमन होता है !
मेरे विचार से किसी भी नगर में संत के आगमन का आने का मतलब होता है कल्पवृक्ष का उग आना संस्कारों का शंखनाद होना, सदाचरण की बहार का आना, जीवन के रूपांतरण में सुखद क्षणों का प्रवेश होना !
इसीलिए श्रेणिक जैन का अनुरोध है की संत अगर नगर में आये तो उनके आदर सत्कार करे और उनके पास जाये इससे आपको सुख का अनुभव अवश्य होगा
ओम् नमः उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन ...........
English :-
From today i will also translate my vichaar (thoughts) in English too.
Actually i don't have good knowledge of English but i will try too as many person demanded.
i thought that if any great person or any saint comes in your city then it will be a rise of yours destiny and rise of yours city's destiny too.
so as per my thoughts if a saint comes in yours city then it will like a full fill the all of yours dreams can be true or it is like blast of good character in your city and it will spread in whole your city.
so i thought that if any saint come in your city and go to them and try to be in their environment..........


Tuesday 21 February 2012

राशि या कर्म

विचार :-
मेरे विचार से हमे सिर्फ अपने कर्म पर भरोसा करना चाहिए ना की अपनी राशि पर क्योकि इंसान हमेसा अपनी राशि से नहीं बल्कि अपने कर्म से जाना जाता है
जिस प्रकार कंस और कृष्ण की, राम और रावण की, गाँधी और गोडसे की राशि एक ही थी लेकिन वो आज अपने किये गए कर्म से जाने जाते है ना की अपनी राशि से..........
श्रेणिक जैन ..............
ओम् नमः उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Monday 20 February 2012

माँसाहार और आपकी प्रवर्ति

विचार :-
अपने भोजन के लिए तुम किसी और जीव को मार कर खाते हो क्या ये सही है जब प्रभु ने हमारे खाने के लिए और विकल्प दिए है तो फिर क्यों हम माँसाहार अपनाये !
अरे ये तो जानवरों का काम है अपनी भूख शांत करने के लिए दूसरे जीव ( जिसकी कोई गलती भी नहीं ) ऐसे जीव को मार कर खाना तो क्यों ऐसे निर्दोष पशु को मार के खाते हो !
जानवर मत बनो इंसान बनो अरे उन मुर्दों को खा कर अपने आपको बहादुर मत समझो, तुम तो वो कायर हो जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किसी की भी हत्या कर सकता है !
श्रेणिक जैन.................
ओम् नमः उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

हर जैन की आत्मा ( पंच नमस्कार मंत्र )

मेरी या ऐसा कहे की हर जैन की आत्मा में बसने वाले पंचनमस्कार मंत्र की जय
         णमो अरिहंताणं
           णमो सिद्धाणं
        णमो आयरियाणं
        णमो उवज्झायाणं
     णमो लोए सव्व साहूणं
ऐसो पंच णमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो !
मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलम !!

लंबी जिंदगी या अच्छी जिंदगी ?

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-

बहुत से इंसानों के मन में मैंने ये इच्छा देखी है की वो अच्छी जिंदगी जीना तो चाहते है लेकिन उसके लिए कुछ करना नहीं चाहते या करना चाहते है लेकिन उन्हें ये ही नहीं पता होता की उसके लिए क्या करना है !
जिस प्रकार हाथ से मुह में खाना डाले बिना और मुह को चलाये बिना खाना पेट में नहीं जाता और हमारी भूक नहीं मिट सकती ठीक उसी प्रकार मेरे विचार से अच्छी जिंदगी जीना ज्यादा जरुरी है ना की लंबी जिंदगी और उस जिंदगी के लिए हमे निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए और अच्छी जिंदगी बिना प्रयास के नहीं मिल सकती  !!!
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

आपके जीवन से प्रेरणा कौन लेता है ?

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
जीवन जीने को तो पशु भी अपनी जिंदगी जीते है लेकिन हम इंसान है और इंसान प्रभु की सबसे सुन्दर गढ़ी आक्रति होती है जिसमे प्रभु ने दिमाग दिया यही दिमाग हमे अन्य से ऊपर रखता है !
इसीलिए हमे कुछ ऐसा करना चाहिए की मरने की बाद भी लोग हमे याद करे ऐसा ना हो की लोग दो पल के लिए याद करे और फिर भूल जाये, ऐसा कुछ करे की लोग आपके जीवन चरित्र से प्रेरणा ले !!!!
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा


छोटे लक्ष्य और बड़ी उपलब्धि

सफलता प्राप्ति के लिए मेरे हिसाब से हमे हमेसा छोटे छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए क्योकि मै जानता हू की हमारे लक्ष्य या यु कहे की अंतिम लक्ष्य बहुत बड़ा होता है लेकिन उस तक एक दम से पहुच पाना मुश्किल होता है इसीलिए हमे उस लक्ष्य को हिस्सों में बाट लेना चाहिए इससे हमे एक साथ 2 फ़ायदे होते है
१.बड़े लक्ष्य का बोझ एक दम से नहीं पड़ता !
२. काम कब खतम हो जाता है और हम कब लक्ष्य पर पहुच जाते है हमे पता ही नहीं चलता !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा 

Abdul kalaam ji का चरित्र और सफलता

मेरे सफल होने के लिए सिर्फ अलग सोच और अलग काम करने की जरुरत होती है
मै आपको एक उदाहरण देता हू
एक लड़का जो एक गरीब मछुवारे का बेटा था और सुबह सुबह मात्र Rs.2 का अखबार बेचता था सिर्फ अपने अटूट परिश्रम, सतत प्रयत्नशीलता, लगन और बुद्धिमत्ता के साथ साथ अपने भाग्य के बल पर इस देश का राष्ट्रपति बन सकता है तो आप क्यों नहीं ?????
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा  

नजरिया (Attitude)

विचार :-
अंग्रेजी भाषा में एक शब्द बड़ा ही महत्वपूर्ण है जिसे हम नजरिया ( Attitude ) कहते है !
मेरी नज़र में इंसान का नजरिया सबसे महत्व पूर्ण होता है क्योकि अगर अच्छा नजरिया हम नहीं रख सकते तो अच्छा काम हम कभी नहीं कर सकते है !
जिस प्रकार एक इंसान अगर अच्छा इंसान बनाना चाहता है तो उसे अच्छे नज़रिए की जरुरत है वरना वो व्यसन की तरफ मुड सकता है उसी प्रकार एक अच्छा छात्र यदि अपनी जिंदगी में सफल होना चाहता है तो उसे अच्छे नज़रिए की बहुत जरुरत है !
एक बात हमेसा याद रखने वाली होती है हमारा क्षेत्र चाहे जो मर्ज़ी हो हमें अगर उसमे कामयाब होना है तो हमे अच्छे नज़रिए नामक बुनियाद तो रखनी ही पड़ेगी !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Sunday 19 February 2012

खून है या पानी देशभक्ति कविता (2)

अब भी खून नहीं खोला तो खून नहीं वो पानी है
श्रेणिक जैन की एक देशभक्ति कविता आपके सामने रख रहा हू जो कुछ मेरी और कुछ कॉपी की गयी है..........

कोई कह दे कब काशी ने कावा की दीवारे तोड़ी ,
हमने कब मक्का में जाके मस्जिद या मीनारे तोड़ी,
तुम खूब कुरान पढ़ो किन्तु हमें वेद भी पढाने दो,
चंदा से बैर नहीं हमे लेकिन सूरज को अर्ग चढाने दो
हम अपनी धर्मसुरक्षा में सूरज की आग नहीं लेगे
गंगा को यदि पड़ी जरुरत लहू की नदी बहा देगे
हम सागर है पर मत भूलो सूरज के से तपते है
बर्फीली परतों में भी लपटों वाले वंश पनपते है
तो साफ़ बता दू अब हिंसक हर लहर मोड दी जायेगी
क्रांतिग्रन्थ में एक कहानी और जोड़ दी जायेगी
जो उपवन पर घात करे वो शाख तोड़ दी जायेगी
जन्मभूमि पर उठी हुई हर आख फोड जी जायेगी

उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन 

मैं ( औरत ) कैद हू......

मैं कैद हू
औरत की परिभाषा में !

मैं कैद हू
अपने ही बनाये रिश्तों और
संबंधो की मकडजाल में !

मैं कैद हू
कोख की बंद कियारी में !

मैं कैद हू
माँ के अपनत्व में !

मैं कैद हू
पति के निजत्व में !

मैं कैद हू
अपने ही स्वामित्व में !

और
मैं कैद हू अपने ही में !

जीवन का सच मुक्तक (6)

पता नहीं किसका कब क्या हो जाये ,
पता नहीं कब कौन विदा हो जाये !
समय रहते ही सँभलने की कोशिश करे ,
पता नहीं कब जिंदगी की शाम ढल जाये !!6!!

Saturday 18 February 2012

जिंदगी जीने का ढंग कविता (१)

बेवजह दिल पे बोझ ना कोई भारी रखिये
जिंदगी जंग है इस जंग को जारी रखिये
कितने दिन जिन्दा रहे इसको ना गिनिए
किस तरह जिन्दा रहे इसकी शुमारी रखिये

कोई जीता है मर मर कर
कोई पीता है दिन रात भर
ऐसे जिंदगी के रास्ते में खड़े मत होना
की जिंदगी कहने लगे जरा एक तरफ हटिये

जब आप नम नहीं तो किसी से उम्मीद मत रखिये
जिंदगी जीना है तो ऐसे जीईए
की धरती खुद रोये जब आप धरती से विदा होए

श्रेणिक जैन......................
एक छोटी सी कविता 

कर्म का पीछा

विचार :-
सब कहते है की मरने के बाद कुछ साथ नहीं जाता लेकिन मुझे लगता है वे गलत है क्योकि  मरने के बाद भी हमारे कर्म हमारा पीछा नहीं छोड़ते !
सब चीजे हमारा पीछा छोड देती है जैसे
दुर्भाग्य से हमारा धन हमारा साथ छोड देता है
नीचता से हमारा यश हमारा पीछा छोड देता है
मुसीबत में हमारा जोश हमारा साथ छोड देता है
रोग में हमारा स्वास्थ्य हमारा साथ छोड देता है
और मौत से हमारे चिर परिचित छुट जाते है
लेकिन दुनिया में कर्म ही ऐसे है जो हमारा पीछा कभी नहीं छोडते
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा

Friday 17 February 2012

महाराज जी की वाणी मुक्तक (५)

आज महाराज जी के मुख कमल से निकला एक मुक्तक आपके सामने रख रहा हू :-
यह बहुत अच्छा हुआ दुनिया से बेवफाई हो गयी ,
सब   रिश्तों   व   नातो   की   सफाई   हो   गयी !
खून  के  रिश्ते  मात्र  खून  चूसने   के   लिए   है,
खून   के   व्यापार   में   दुनिया   कसाई   हो  गयी !!५!! 

नजरिये का महत्व

विचार :-
मेरे हिसाब से इंसान का नजरिया ही सब कुछ होता है वो किस तरह से चीजों को देखता है ये सबसे जरुरी है क्योकि वो जिस तरह से चीजों को देखता है वो उसी तरह से चीजों को समझता है !
जिस प्रकार एक गिलास जिसमे आधे तक पानी भरा है अगर उसे किसी को दिखा कर पूछा जाये तो कोई कहेगा की गिलास आधा भरा है और कोई कहेगा गिलास आधा खाली है बस फर्क नज़रिए का है !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की अगर आप अच्छा देखोगे तो अच्छा दिखेगा और परेशानी को हल करने के अवसर दिखेगे !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की 

Thursday 16 February 2012

गुरु जी के आँसू

हम यु बेपरवाह हो गए की देख ही ना पाए की कमरे में प्राचार्य जी चुपके चुपके सिसक रही थी !

शिष्या  :-क्या हुआ प्राचार्य जी ??

प्राचार्य :-कोशिश बहुत की मैंने की बदल दू हालात अपने अनुसार लेकिन असफल रही लेकिन दुःख इस बात का नहीं मै असफल रही लेकिन दुखी हू की जिन्हें पढ़ा लिखा कर अफसर बनाया वो सब तो अपने ही सुख को सोचने लगे और महल का स्वपन देखने लगे, लेकिन मेरे सुख (चारों तरफ खुशहाली ) कोई नहीं सोचता.

शिष्या :-तो क्या आप हार गए ??

प्राचार्य:-हां मान सकती हो क्योकि मै अपने बच्चे को भूखा नहीं देख सकती इसीलिए इस माहौल में ढल गयी हू सह नहीं सकती इसीलिए कोने मे चुप से सिसकती हू....!!!

शिष्या:- तो क्या मै कोशिश करू ??

प्राचार्य :-हार जाओगी !

शिष्या:- कोई बात नहीं, करने दो एक कोशिश...आपके चहरे की एक मुस्कान की चाहत मंजिल को छु लेने को हमेसा आतुर करेगी 

मन और शरीर की सुंदरता

विचार :-
आज के बहुत से लोग शरीर की सुंदरता को प्राथमिकता देने लगे है लेकिन मेरे अनुसार शरीर की सुंदरता के साथ साथ इंसान की मन की सुंदरता भी आवश्यक होती है क्योकि मन का सुन्दर होना बहुत जरुरी होता है !
क्योकि मन की सुंदरता अर्थात हमारी अंदरूनी सुंदरता या शख्सियत ही अहम होती है क्योकि इंसान कामयाब हमेसा अपने नजरिये की वजह से होता है और वो नजरिया उसके मन की सुंदरता से बनता है ना की तन की सुंदरता से जैसे एक गुब्बारा अपने अंदर भरी हुई हवा से उड़ता है ना की अपने उपरी रंगों से..........
ओम् नमः सबसे क्षमा सबको क्षमा
श्रेणिक जैन ...........

कषाय का जाल मुक्तक (४)

मुक्तक :-
आज का इंसान कषाय में किस तरह फस रहा है और उनसे निकलने का आसान मार्ग क्या है ये इस मुक्तक के माध्यम से बता रहा हू !
आज  प्राणी  गृह  जाल  में  फसते  जा  रहे  है ,
कषाय   की   पाश    में    कसते   जा   रहे   है !
कैसे    होगा    हमारा    सत्    धर्म    में   प्रवेश ,
पूजन, भक्ति और धर्म से हम बचते जा रहे है !!४!!

Tuesday 14 February 2012

सफलता प्राप्ति का तरीका

विचार :-
मैंने कई बार देखा है बहुत से लोग काबिलियत से भरपूर होते है लेकिन फिर भी असफल होते है ऐसा क्यों .....???
मैंने जब ये देखा की कुछ लोग असफल हो रहे है और इसको जानने का प्रयास किया तो पाया की ज्यादातर लोग काबिलियत या अक्ल की कमी के कारण नाकामयाब या असफल नहीं होते बल्कि अपने इरादे के पक्के ना होने, रास्ते के चुनाव में कमी होने, पूर्ण समर्पण ना होने और अनुशासन की कमी की वजह से नाकामयाब होते है !
इसीलिए श्रेणिक जैन कहना चाहता है कि इन कमियों को दूर करते ही आप खुद को सफलता के बहुत करीब महसूस करेगे !
जय जिनेन्द्र देव की
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा
श्रेणिक जैन 

समता में श्रेष्ठता

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
जो मनुष्य अपमान में जीना सीख लेता है वही मनुष्य वास्तव में सम्मान को पचा सकता है !
आज कल लोगो अमीर और सम्मानित व्यक्तियों को ही श्रेष्ठ कहने और समझने लगे है लेकिन श्रेष्ठ वह नहीं जो सम्मान में समता रखता है बल्कि असली श्रेष्ठ व्यक्ति तो वह है जो अपमान में भी समता रखता है !!!!!
श्रेणिक जैन..........
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की 

Monday 13 February 2012

नव गृह और कर्म

विचार :-
मुझे एक बात समझ नहीं आती की जब हमें अपने कर्मो का ही फल मिलना होता है तो ये नव ग्रह और नक्षत्र कहा से आ जाते है क्यों लोग ग्रह को शांत करने के चक्कर में पड़े रहते है !
क्या आपने कभी भी इनके प्रभाव को महसूस किया है अगर आपका जवाब हां है तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे है क्योकि वो प्रभाव आपके कर्मो के कारण है ना की इन ग्रह और नक्षत्र के कारण.........!!!!
तो श्रेणिक जैन तो आपसे सिर्फ इतना कहना चाहता है की ये ग्रह नक्षत्र को छोडकर अपने णमोकार महामंत्र और अपने प्रभु पर भरोसा करेगे तो ये आपका कुछ नहीं कर पायेगे, आप खुद ही सोचिये की क्या कभी ग्रह या नक्षत्र किसी सच्चे संत महात्मा या सच्चे महाराज जी का कुछ बिगाड़ पाया है...???? नहीं, यहाँ तक की ये कभी किसी सच्चे भक्त का भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते..............
श्रेणिक जैन......
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की .............

Sunday 12 February 2012

सफलता और प्रयास

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
अगर आपने प्रयास किया तो संभव है की आप सफल हो या असफल हो जाये लेकिन एक बात हमेसा याद रखे की अगर आपने प्रयास ही नहीं किया तो निश्चित ही आप असफल हो गए !
इसके लिए मै एक मुक्तक का हिंदी अनुवाद आपको कहना चाहता हू जो बहुत परचलित है
की गिरता वही है जो घोड़े पर चलता है वो क्या गिरेगा जो पहले ही घुटनों के बल चल रहा है !
श्रेणिक जैन
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की 

Saturday 11 February 2012

कठिनइयो की सत्यता

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
मै आज सबको अपने मन की बात बता रहा हू इसका किसी से कोई मतलब नहीं है !
कितना अजीब लगता है मुझे जब लोग छोटी छोटी खुशियों को ही अपनी जीत मान लेते है जो हमें कुछ छोटे मोटी कठिनाइयों के बाद मिल जाती है और उन छोटी खुशियों के आने पर ही बड़े बड़े जश्न मनाने लगते है लेकिन कोई भी ये गौर नहीं करता की उन छोटी कठिनाइयों के बाद एक बड़ी कठिनाई हमारे उन जश्न में रमने का इन्तज़ार कर रही होती है जिसके लिए हम तैयार नहीं हो पाते क्योकि हम खुशिया बनाने में व्यस्त थे !
मेरा मानना है की हमें छोटी खुशियों को मनाना चाहिए लेकिन उन छोटी खुशियों के आड में आने वाली बड़ी कठिनाइयों के लिए हमेसा तैयार रहना चाहिए क्योकि बड़ी कठिनाई हमेसा बड़े Challenge लेके आता है जो बहुत कुछ सिखाता है !
श्रेणिक जैन 
उत्तम क्षमा पाप क्षय पुण्य जमा
जय जिनेन्द्र देव की 

Friday 10 February 2012

लड़की का पोस्ट

आज एक लड़की का पोस्ट देखा :-
एक नेहा नाम की एक देवी का पोस्ट देखकर मन को बहुत अजीब सा महसूस हुवा लेकिन क्या करे आज की युवा पीढ़ी की मनोदशा जान के बड़ा दुःख हुवा पोस्ट लिख रहा हू !
पोस्ट कुछ इस प्रकार है की उन्होंने लिखा था कि "मै ट्रेन मै सफर कर रही हू और मेरे मोबाइल का बैलेंस खत्म हो गया है क्या कोई मेरा Rs.100 का Recharge करवा देगा "
उस फेसबुक की देवी का इतना लिखना था की कमेन्ट और पसंद करने वालो की जैसे झड़ी सी लग गयी !
10 मिनट में ही मैंने देखा 60 कमेन्ट और 92 लोगो ने उसे पसंद किया था
इन 60 लोगो में से अधिकतर ने मै करता हू...........करवा दिया जैसे कमेन्ट दिए थे जो भी कहता मै करवाता हू नंबर दो तो लड़की कहती की मै अपना नंबर inbox में भेजती हू !
कमाल है ना 50 Recharge भी हो गए तो सोचो ना 50*100 का Recharge !
उस लड़की को अगले 50 दिन तो कम से कम Recharge करवाने की जरुरत नहीं !!!
वाह रे अपनी युवा पीढ़ी .................!!!!!!!!!!!!

सोच का दायरा

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
एक किसान ने अपने खेतों में लौकी बोई ! उसने बिना कुछ सोचे - समझे एक छोटी सी लौकी की बेल समेत एक शीशे के जार में रख दिया !
फसल काटते वक्त उसने देखा की जार में राखी लौकी उतनी ही बड़ी हो सकी जितना बड़ा वो जार था !
इसीलिए श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की अपनी सोच का दायरा बढाओ जिस प्रकार लौकी उसे रोकने वाली हदों से अधिक नहीं बढ़ सकी, उसी प्रकार हम भी अपनी सोच के दायरे से आगे नहीं बढ़ पायेगे यदि हमारी सोच का दायरा छोटा है !
ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा 

धर्म {मुक्तक (३)}

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
कितने लोग कहते है की धर्म क्या है तो मै आज आप लोगो को धर्म का महत्व बताना चाहता हू
हमें    कैसे    जीना    है   ,    धर्म    बताता    है    बंधुओ,
आत्मा   और   अनात्मा   का  ,  भेद  दिखाता  है  बंधुओ !
'परस्परोग्रहो जीवानाम' सूत्र , भगवान महावीर ने बताया,
धर्म    ही    इंसान   को  ,  भगवान   बनाता   है   बंधुओ !!३!!

Thursday 9 February 2012

धर्म का महत्व {मुक्तक (२)}

आज मानव के जीवन में , धर्म की सुवास नहीं है ,
इस जहाँ में कही किसी का , कोई आवास नहीं है !
जो धर्म पर श्रधान हमेसा, करते है मेरे बंधुओ ,
दुःख - दर्द का उनके , जीवन में वास नहीं है       !!२!!

मुक्तक (१)

साधन वही है जो साधक को साध्य से मिला दे ,
औषधि वही है जो रोगों को दूर कर दे ,
और तप वही है जो नर को नारायण बना दे.........

Wednesday 8 February 2012

भाग्य और कर्म

सब कहते है की भाग्य पर भरोसा रखो.....भाग्य पर भरोसा रखो
लेकिन क्या हमेसा भाग्य पर भरोसा हमेसा करना अच्छा है बिना कुछ किये भी
श्रेणिक जैन आपसे एक बात कहना चाहता है भाग्य पर भरोसा करना अच्छा है लेकिन तब जब आपने अपना सत प्रतिशत दिया हो उसके बाद भी यदि सफलता आपको ना मिले तो कभी भी निष्क्रिय मत बैठो क्योकि किया हुवा कार्ये कभी व्यर्थ नहीं जाता और महनत कभी खाली नहीं जाती !!!
श्रेणिक जैन
जय जिनेन्द्र देव की.........

सुख और दुःख

आज के इस भौतिक युग की बात करना चाहता हू की आज इंसान सुख और दुःख किसे कहता है ?
आज के इस युग में इंसान आवश्यकताओं की पूर्ति को सुख और दुःख को अवश्यकताओ के अभाव से जोड़ने लगा है, लेकिन क्या आपको लगता है वास्तव में वही सच्चा सुख है या सच्चा दुःख है ?
तो मेरा जवाब ये होगा की सच्चा सुख दूसरों को खुश रखने से मिलता है लेकिन आज कल तो लोग दूसरों को दुखी करके खुश होते है !!!!!
क्या आज की मानवता हमें यही सिखाती है की दूसरों को दुःख में खुश और दूसरों की खुशी में दुखी हो जाओ ? जान बुझ कर कुछ ऐसे काम करो जिससे हमें फ़ायदा हो या ना हो लेकिन दूसरे को नुक्सान जरुर होता है !
क्या यही है सच्ची मानवता .......????????
श्रेणिक जैन..........
ओम् नमः सबको क्षमा सबसे क्षमा
पाप क्षय पुण्य जमा 

संयम का महत्व

एक किस्सा जो मेरे ही सामने हुवा था वो आपको सुनाता हू ,
की एक इंसान जो खुद महाराज जी के पास बैठ के संयम धारण करने के बारे में बड़ी बड़ी बातें कर रहा था वही इंसान जब मंदिर से बाहर आये तो पंडित जी से बड़ी ऊँची ऊँची आवाज़ में बात कर रहे थे !
पूछने पर पता चला की पंडित जी जब मंदिर जी को पानी से साफ़ कर रहे थे तो उन सज्जन की चप्पल के उप्पर भी थोडा सा पानी गिर गया था जिसे देख के सज्जन एक दम गुस्से से आग बबूला हो रहे थे !
तो सोचिये जो इंसान महाराज जी के आगे तो संयम की इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे वो ही कितना संयम का पालन कर रहे थे की एक ज़रा से पानी की वजह से इतना भडकने लगे !!!
तो श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की संयम का मतलब सिर्फ बड़ी बड़ी बातें करना ही नहीं उसको अपने अंदर धारण करना भी है !

ओम् नमः सबको क्षमा सबसे क्षमा
पाप क्षय पुण्य जमा 

Tuesday 7 February 2012

अंतरमन की आवाज़

मैंने एक बात हमेशा सीखी है की इंसान खुद ही अपना सबसे बड़ा गुरु होता है अगर इंसान अपने अंतर मन या अपनी अंतर आत्मा की आवाज़ सुन ले तो उसे भक्त से भगवान बनने मै वक्त नहीं लगेगा इसे मै एक उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करता हू
एक शिष्य से उसके गुरुदेव कहते है की "जाओ कही से चोरी करके लाओ और ध्यान रहे चोरी करते तुम्हे कोई देख ना ले ."
इतना सुनते ही शिष्य चला जाता है और 2-3 दिन बाद जब लौट के आता है तो खाली हाथ होता है !
ये देखकर गुरु पूछते है " क्या हुवा कुछ चोरी करके क्यों नहीं लाए ?"
शिष्य कहता है "की हे गुरुवर मै चोरी करने गया तो था और इस बात भी बेहद ध्यान रख रहा था की मुझे कोई देख ना ले लेकिन जैसे ही मै चोरी करने लगा मुझे ध्यान आया की मै खुद तो अपने आपको देख ही रहा हू "
ये सुनते गुरुवर का दिल खुशी से भर आया और शिष्य को गले से लगा लिया
तो दोस्तों श्रेणिक जैन आपसे कहना चाहता है की भक्त से भगवान बनने के लिए अंतरमन की आवाज़ सुनने भर की देर है !!!!!

छोटे का महत्व

आज का विचार श्रेणिक जैन की कलम से :-
कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए क्योकि हर इंसान चाहे वो छोटा हो या बड़ा आपको कुछ ना कुछ सिखा सकता है !
जिस प्रकार सिखने की कोई उम्र नहीं होती ठीक उसी प्रकार ज्ञान की भी कोई उम्र नहीं होती और ज्ञानी की भी कोई उम्र नहीं होती !
और छोटे इंसान और छोटो को कभी भी नज़र अंदाज़ भी नहीं करना चाहिए 
क्योकि 
जहाँ जरुरत सुई की होती है वहां तलवार से काम नहीं बनता और ठीक इसके उल्टा जहां तलवार की जरुरत होती है वहां कभी भी सुई से काम नहीं चलता !!
श्रेणिक जैन 

जय जिनेन्द्र जी 

ओम् नमः पाप क्षय पुण्य जमा